पोषक तत्वों से भरपूर चने खाने के कई फायदे हैं। इसमें फाइबर, आयरन, फोलेट और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। इसके रोज़ाना सेवन से पाचन, वज़न कम होना, एनीमिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
आपको बता दें कि आप चने को भूनकर या भिगोकर खा सकते हैं। दोनों ही तरीकों के अपने फायदे और नुकसान हैं। इस खबर में हम आपको बताएंगे कि भीगे हुए चने खाने के क्या फायदे हैं।
भुने चने के फायदे
भुने चने में अच्छी मात्रा में प्रोटीन, फाइबर और खनिज होते हैं, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। यह वजन घटाने के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, क्योंकि यह पेट को लंबे समय तक भरा रखता है।
भुने चने के नुकसान
कुछ लोगों को भुने चने खाने के बाद पेट में गैस या सूजन की समस्या हो सकती है, खासकर अगर ज़्यादा मात्रा में खाया जाए।
बहुत ज़्यादा भुने चने खाने से आंतों पर दबाव पड़ता है, जिससे अपच या दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अगर छोले को ज़्यादा तेल या घी में तला जाए, तो उनमें कैलोरी की मात्रा बढ़ सकती है, जिससे वज़न बढ़ सकता है।
भीगे हुए छोले खाने के फ़ायदे
भीगे हुए छोले खाने से पाचन और पोषण बेहतर होता है, क्योंकि पानी में भिगोने से छोले में मौजूद फाइटिक एसिड कम हो जाता है, जिससे पाचन क्रिया बेहतर होती है।
छोले भिगोने से प्रोटीन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट बढ़ते हैं। यह शरीर के लिए बहुत फ़ायदेमंद है। भीगे हुए छोले पेट में हल्के और आसानी से पच जाते हैं, इसलिए पेट में भारीपन या कब्ज की समस्या नहीं होती।
भीगे हुए चने एंटीऑक्सीडेंट और खनिजों से भरपूर होते हैं, जो त्वचा को चमकदार और दिमागी शक्ति प्रदान करने में मदद करते हैं। भिगोने से चने के पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होता है, जिससे शरीर को और लाभ होता है।
भीगे हुए चने खाने के नुकसान
भीगे हुए चने खाने से कुछ लोगों को गैस या पेट फूलने की समस्या हो सकती है, खासकर अगर ज़्यादा मात्रा में खा लिया जाए। भीगे हुए चनों को पीने के लिए पानी की ज़रूरत होती है, जिससे अगर इन्हें ठीक से न भिगोया जाए, तो इनमें फाइबर की मात्रा भी कम हो सकती है।
हमें क्या खाना चाहिए?
भुने हुए चने जल्दी बन जाते हैं और स्वादिष्ट भी होते हैं, लेकिन इनमें फाइबर और कैलोरी की मात्रा ज़्यादा होती है। भीगे हुए चने पचने में आसान होते हैं और शरीर को ज़्यादा पोषण देते हैं।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।
