क्या खड़े होने, बैठने और सीढ़ियाँ चढ़ने पर आपके घुटने जवाब दे जाते हैं? अगर हाँ, तो इस पोस्ट को नज़रअंदाज़ करने की गलती न करें…

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अगर हाँ, तो इसे सिर्फ़ बढ़ती उम्र या कैल्शियम की कमी समझकर नज़रअंदाज़ न करें। आयुर्वेद और श्री राजीव दीक्षितजी के अनुसार, जोड़ों के दर्द का असली कारण आपके शरीर में ‘वात’ दोष का बढ़ना है।

दर्द निवारक दवाएँ सिर्फ़ कुछ घंटों के लिए दर्द को दबा देती हैं, लेकिन बीमारी को जड़ से खत्म नहीं करतीं। असली इलाज तो आपकी रसोई में ही मौजूद है।

जोड़ों के दर्द का असली कारण

वात दोष में वृद्धि: आयुर्वेद में वात की कमी को 80 से ज़्यादा बीमारियों का कारण माना जाता है। जब शरीर में वायु (वात) जमा हो जाती है, तो यह जोड़ों में पहुँच जाती है और चिकनाई को सुखा देती है, जिससे दर्द और अकड़न होती है।

गलत खान-पान: रिफाइंड तेल, चीनी, मैदा और रेडीमेड खाना जैसी चीज़ें शरीर में अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा को तेज़ी से बढ़ाती हैं।

जीवनशैली: अनियमित दिनचर्या और शारीरिक श्रम की कमी भी इसका एक प्रमुख कारण है।

सरल घरेलू उपायों से आराम पाएँ

मेथी के दाने: वात को नियंत्रित करने के लिए मेथी के दाने सबसे अच्छी औषधि हैं। रात में एक गिलास पानी में एक चम्मच मेथी के दाने भिगो दें और सुबह खाली पेट मेथी के दाने चबाकर पिएँ। पानी।

खाने योग्य चूना: पान में इस्तेमाल होने वाले चूने के एक दाने को दही, दाल या गन्ने के रस में मिलाकर दिन में एक बार लें। यह कैल्शियम का बेहतरीन स्रोत है और वात को संतुलित करता है। (पथरी के रोगियों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए)।

सही तेल चुनें: खाने में रिफाइंड तेलों की बजाय कच्ची घानी (सरसों, तिल, मूंगफली) के तेल का इस्तेमाल करें। यह तेल जोड़ों में नमी बनाए रखने में मदद करता है।

हरसिंगार (पारिजात): हरसिंगार के 4-5 पत्तों को पीसकर एक गिलास पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए, तो इसे ठंडा करके सुबह खाली पेट पिएँ। यह गठिया की एक अद्भुत औषधि है।

अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।

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