बरसात के मौसम में रहें सावधान, दही खाने से बढ़ सकती हैं ये 3 गंभीर समस्याएं…

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स्वास्थ्य: दही का सेवन सदियों से भारतीय घरों में किया जाता रहा है क्योंकि यह प्रोबायोटिक्स और स्वास्थ्यवर्धक वसा का एक बेहतरीन स्रोत है। लेकिन आयुर्वेद के अनुसार, मौसम बदलने पर कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन सावधानी से करना ज़रूरी है।

खासकर बरसात के मौसम में, दही खाने से बचना चाहिए या बहुत कम मात्रा में और सही मात्रा में सेवन करना चाहिए।

आयुर्वेद का मानना ​​है कि मानसून में दही खाने से शरीर के तीन दोष – वात, पित्त और कफ – असंतुलित हो सकते हैं, जिससे शरीर कमज़ोर हो सकता है और मौसमी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।दही की तासीर ठंडी होती है और इसके सेवन से मानसून में पेट फूलना, गैस और अपच जैसी पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। यही कारण है कि दही को हमेशा भुने हुए जीरे, काली मिर्च या शहद के साथ खाने की सलाह दी जाती है। बिना कुछ मिलाए दही खाने से पाचन क्रिया धीमी हो सकती है।

दही जैसे ठंडे डेयरी उत्पाद भी इस मौसम में प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और मौसमी बीमारियों या एलर्जी का खतरा बढ़ जाता है।

इसके अलावा, दही के नियमित सेवन से शरीर में बलगम जमा हो सकता है, जिससे सर्दी-जुकाम, खांसी और सीने में जकड़न जैसी श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। बारिश के मौसम में नमी और आर्द्रता इन समस्याओं को और बढ़ा देती है।

अगर आप मानसून में दही खाना चाहते हैं, तो इसका सही तरीके से सेवन करना बहुत ज़रूरी है। दही को एक चुटकी भुना जीरा पाउडर, काली मिर्च, काला नमक या शहद के साथ खाने से इसका ठंडा प्रभाव संतुलित हो जाता है। इस विधि से दही पचने में आसान हो जाता है और आंतों के स्वास्थ्य में भी सुधार होता है।

अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपका व्यक्तिगत स्वास्थ्य परिस्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।

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