कभी-कभी जब डॉक्टर दवाओं और इलाजों से उम्मीद छोड़ देते हैं, तो कुछ लोग अपना रास्ता चुनते हैं और चमत्कारी परिणाम प्राप्त करते हैं।
ऐसी ही एक अद्भुत कहानी सामने आई है, जहाँ एक व्यक्ति ने कैंसर को मात देने के लिए न तो कीमोथेरेपी ली और न ही रेडिएशन, बल्कि उसने प्रकृति की मदद ली और चमत्कारिक ढंग से कैंसर को मात दे दी।
कैंसर का पता चला, डॉक्टरों ने कीमोथेरेपी की सलाह दी
52 वर्षीय व्यक्ति को ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर) और लिम्फोमा (लिम्फ नोड कैंसर) होने का पता चला। डॉक्टरों ने तुरंत कीमोथेरेपी और रेडिएशन शुरू करने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने कुछ अलग करने का फैसला किया।
साथ ही, उसने हर हफ्ते एक रात जंगल में बिताने का फैसला किया। उनका मानना था कि शरीर में ही बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है, बस उसे सही माहौल और सोच की ज़रूरत होती है।
चमत्कारी परिणाम
जब उन्होंने पहली बार ठंडी नदी में तैराकी की, तो उनके रक्त की जाँच की गई और ल्यूकेमिया गायब हो गया। जंगल में 10 महीने बिताने के बाद, उनका लिंफोमा पूरी तरह ठीक हो गया।
यहाँ तक कि उनके ऑन्कोलॉजिस्ट भी हैरान रह गए और बोले, “अगर मैंने खुद उनकी जाँच न की होती, तो मुझे यकीन ही नहीं होता कि उन्हें कभी कैंसर हुआ था!”
विज्ञान भी इसका समर्थन करता है।
अब विज्ञान भी ऐसे प्राकृतिक तरीकों का समर्थन करता है। ठंडे पानी में तैरने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत होती है। जंगल में समय बिताने से शरीर की प्राकृतिक किलर सेल्स (NK सेल्स) 50 से 200 गुना बढ़ जाती हैं।
इसके अलावा, नियमित व्यायाम कैंसर के दोबारा होने के जोखिम को कम करता है और सकारात्मक सोच व जीवन में उद्देश्य के साथ जीवन को लम्बा करता है।
प्राकृतिक उपचारों की शक्ति
इस व्यक्ति का मानना है कि दवाएँ अंतिम उपाय होनी चाहिए, पहला नहीं। उन्होंने कहा कि हर दवा के दुष्प्रभाव होते हैं, लेकिन प्रकृति कोई नुकसान नहीं पहुँचाती।
अब पूरी तरह स्वस्थ
आज यह व्यक्ति 64 वर्ष का है और पूरी तरह स्वस्थ है। उसने अब तक 2 विश्व रिकॉर्ड भी बनाए हैं। वह अब लोगों को बिना दवा, कीमोथेरेपी और रेडिएशन के अपनी प्राकृतिक उपचार शक्तियों को जागृत करना सिखाता है।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।
