आमतौर पर हम सभी अपने घर में साफ़-सफ़ाई बनाए रखने की कोशिश करते हैं। घर को साफ़ रखने से आपकी जीवनशैली अच्छी रहती है और आप बीमारियों से भी बचे रहते हैं।
इसके बावजूद, कई बार हम उन चीज़ों को साफ़ करना भूल जाते हैं, जो अनजाने में कीटाणुओं का घर बन जाती हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही चीज़ के बारे में बताएंगे, जो हमारी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा तो है, लेकिन बीमारियों का कारण भी है।
कई बार हमें एहसास ही नहीं होता कि कौन सी चीज़ हमें बीमार कर सकती है। जिसे हम साफ़ समझते हैं, वो असल में गंदी होती है और उसके बिना हमारा काम नहीं चल सकता। आज हम आपको एक ऐसी ही चीज़ के बारे में बताएंगे।
टॉयलेट सीट और वहाँ मौजूद चीज़ों पर कीटाणुओं और बैक्टीरिया की मौजूदगी का तो हम अंदाज़ा लगा सकते हैं, लेकिन उस चीज़ के बारे में नहीं सोचते जो हम हमेशा अपने हाथों में रखते हैं, जो हमारी सेहत को नुकसान पहुँचाती है। खासकर बच्चों की।
बच्चों के हाथों से रिमोट फेंक दें
डेली स्टार की एक रिपोर्ट के अनुसार, एरिज़ोना विश्वविद्यालय की एक टीम ने दावा किया है कि खतरनाक बैक्टीरिया हमारे आस-पास रहते हैं, आम वस्तुओं में मौजूद होते हैं।
जर्नल ऑफ एप्लाइड माइक्रोबायोलॉजी के अनुसार, ये बैक्टीरिया हमारे घरों में 48 घंटे तक जीवित रह सकते हैं और इन्हें छूने वाले मेहमानों तक पहुँचा सकते हैं। घर में इनका सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होता है और शायद इनकी सफाई सबसे कम होती है।
इन पर हमारे टॉयलेट सीट से भी ज़्यादा बैक्टीरिया होते हैं क्योंकि इन्हें शायद ही कभी कीटाणुरहित किया जाता है। यहाँ तक कि बच्चे भी खाना खाते समय इन्हें छू लेते हैं और इससे बीमार हो जाते हैं।
एक और चीज़ गंदी है।
इतना ही नहीं, अध्ययन में यह भी पता चला है कि स्मार्टफ़ोन में उस टॉयलेट सीट से दस गुना ज़्यादा बैक्टीरिया होते हैं जिससे हम एक पल के लिए भी दूर नहीं रहना चाहते। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम हमेशा अपने फ़ोन अपने साथ रखते हैं।
इतना ही नहीं, जिस तकिये पर हम सोते हैं उसका कवर भी उतना ही गंदा होता है जितना आप सोच सकते हैं। हमारे सिर और बालों की गंदगी और स्कैल्प में मौजूद कीटाणु तकिये के संपर्क में आते हैं। इसे तुरंत बदलना ज़रूरी है।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।
