लोग जिम जाते हैं, व्यायाम करते हैं, सुबह-शाम सैर करते हैं और वज़न कम करने के लिए कई घरेलू नुस्खे आज़माते हैं। लेकिन वज़न कम होना बस नाम की बात नहीं है। इस पूरी प्रक्रिया में भी काफ़ी मेहनत लगती है। अब ये सब करने की ज़रूरत नहीं है।
वज़न कम करने का एक तरीका इन दिनों काफ़ी लोकप्रिय है। आपने सुना होगा कि बॉलीवुड सितारे तेज़ी से वज़न कम करने के लिए किसी मेडिकल सर्जरी या जिम का सहारा नहीं लेते, बल्कि इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग करते हैं। जानें इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग क्या है और इसे कैसे करें।
इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग क्या है?
डॉ. कल्पना कहती हैं कि इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग एक ऐसी विधि है जो हमें बताती है कि हमें कब खाना चाहिए। इसे अपनाने के कई तरीके हैं। कुछ लोग 18 घंटे तक उपवास करते हैं।
इंटरमिटेंट फास्टिंग के फ़ायदे
डॉ. कल्पना गुप्ता के अनुसार, इंटरमिटेंट फास्टिंग के कई फ़ायदे हैं। सबसे पहले, इससे आपका वज़न कम होता है। जब आप कम खाते हैं, तो आपको कम कैलोरी मिलती है। इसलिए, आपके शरीर में जो चर्बी होती है, उसका इस्तेमाल शरीर की ऊर्जा बनाए रखने के लिए होने लगता है, जिससे वज़न कम होता है।
यह आपको हृदय संबंधी बीमारियों से भी बचाता है। कोलेस्ट्रॉल कम करता है। साथ ही, तनाव हार्मोन को भी कम करता है। यह आपके स्वास्थ्य के लिए हर तरह से फ़ायदेमंद है।
नुकसान भी जानें
डॉ. कल्पना गुप्ता कहती हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग के भी अपने नुकसान हैं, लेकिन नुकसान तभी होता है जब आपको इसे करने का सही तरीका न पता हो। इसलिए अगर आप इंटरमिटेंट फास्टिंग करना चाहते हैं, तो पहले किसी स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें। अपना डाइट चार्ट तैयार करें। फिर इसे शुरू करें।
मधुमेह, गुर्दे या यकृत रोग से पीड़ित या किसी भी प्रकार का उपचार करा रहे लोगों को इससे बचना चाहिए। अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार ही उपवास करें। गलत तरीके से किया गया आंतरायिक उपवास आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा सकता है।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।
