यूरिक एसिड का बढ़ना एक गंभीर समस्या है। लंबे समय तक इसे नज़रअंदाज़ करने से हड्डियों और हृदय से जुड़ी कई खतरनाक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
रोचेस्टर मेडिकल सेंटर विश्वविद्यालय के अनुसार, महिलाओं में 6 mg/dL और पुरुषों में 7 mg/dL से ज़्यादा यूरिक एसिड का स्तर खतरनाक माना जाता है।
यूरिक एसिड बढ़ने का कारण
यूरिक एसिड का बढ़ना मुख्यतः प्रोटीन और प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थों के अत्यधिक सेवन के कारण होता है। अरहर, राजमा, छोले जैसे खाद्य पदार्थों में प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है, जो यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, कैंसर जैसी कई बीमारियों के कारण भी यूरिक एसिड का स्तर बढ़ सकता है।
डॉक्टर की सलाह
उत्तर प्रदेश के हरदोई स्थित शतायु आयुर्वेद एवं पंचकर्म केंद्र के निदेशक डॉ. अमित कुमार कहते हैं कि बढ़ती उम्र के साथ गुर्दे प्रोटीन को पूरी तरह से पचा नहीं पाते, जिससे गुर्दे ठीक से काम नहीं कर पाते। ऐसी स्थिति में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने लगता है। इस समस्या से न केवल वृद्ध लोग, बल्कि युवा भी प्रभावित होते हैं।
यूरिक एसिड नियंत्रित करने के उपाय
डॉ. अमित कुमार सलाह देते हैं कि यूरिक एसिड को नियंत्रित करने के लिए शराब का सेवन पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए। इसके अलावा, उच्च प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों का सेवन भी सीमित करना चाहिए, क्योंकि इन खाद्य पदार्थों में प्रोटीन और प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है, जो यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा सकते हैं।
यूरिक एसिड में इन दालों का सेवन फायदेमंद है।
डॉ. अमित कुमार के अनुसार, यूरिक एसिड को नियंत्रित करने के लिए उचित मात्रा में मूंग और उड़द की दाल का सेवन किया जा सकता है। ये बीन्स अपने कम प्यूरीन और प्रोटीन के कारण यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं।
जीवनशैली में ये सुधार भी ज़रूरी हैं।
डॉ. अमित कुमार ने बताया कि यूरिक एसिड को नियंत्रित रखने के लिए पर्याप्त पानी पीना बेहद ज़रूरी है। क्योंकि पानी शरीर से यूरिक एसिड को बाहर निकालने में मदद करता है।
इसके साथ ही, नियमित व्यायाम और संतुलित आहार भी यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए ज़रूरी हैं। और ज़्यादा से ज़्यादा फल और सब्ज़ियाँ खाएँ, क्योंकि ये शरीर में प्रोटीन और प्यूरीन की मात्रा को कम करने में मदद करते हैं।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।