प्रोस्टेट कैंसर की पहचान कैसे करें? यह बीमारी किस उम्र में शुरू होती है? पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें…

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पिछले कुछ वर्षों में भारत में प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में तेज़ी से वृद्धि हुई है। यह पुरुषों में होने वाला एक आम कैंसर है जो प्रोस्टेट ग्रंथि में होता है। प्रोस्टेट कैंसर ज़्यादातर वृद्ध लोगों में होता है। प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती लक्षणों को समझना मुश्किल होता है। लेकिन समय के साथ प्रोस्टेट के लक्षण गंभीर हो जाते हैं। जिन्हें नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। इसके कारण मरीज़ की जान भी चली जाती है। लेकिन अगर इसके कुछ लक्षणों को शुरुआती दौर में ही समझ लिया जाए, तो इस लाइलाज बीमारी का इलाज संभव हो जाता है और मरीज़ के ठीक होने की संभावना ज़्यादा होती है।

प्रोस्टेट कैंसर 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में होता है। हालाँकि, इसके कुछ मामले युवा वयस्कों में भी देखे गए हैं। इसमें मरीज़ को बार-बार पेशाब आना, पेशाब करते समय तेज़ दर्द, रुक-रुक कर पेशाब आना और मूत्र मार्ग में जलन व दर्द का अनुभव होता है। इसके अलावा, पेशाब में खून आना और हड्डियों में दर्द भी प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति को ऐसे लक्षण दिखाई दें, तो उसे तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
शुरुआत में यह रक्त परीक्षण करवाएँ इसके लिए डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन (DRE) टेस्ट किया जाता है। इसके ज़रिए PSA का स्तर पता किया जा सकता है। अगर PSA का स्तर बढ़ जाता है, तो इसे जोखिम माना जाता है।
डॉक्टर आगे की जाँच की सलाह देते हैं। अगर यह सामान्य है, तो आपको घबराना नहीं चाहिए। प्रोस्टेट ग्रंथि ठीक से काम कर रही है या नहीं, यह जानने के लिए डॉक्टर बायोप्सी करते हैं। इसके अलावा, एमआरआई या सीटी स्कैन से भी प्रोस्टेट ग्रंथि के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
कैसे बचाव करें?
  • स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और धूम्रपान-पान मसाला छोड़ने से इससे बचा जा सकता है।
  • 50 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों को हर तीन महीने में PSA और DRE करवाना चाहिए। खासकर कमज़ोर शरीर वाले लोगों को ज़्यादा सावधान रहने की ज़रूरत है।
  • अगर परिवार में किसी को कैंसर हुआ है, तो 40 साल की उम्र से ही जाँच शुरू कर देनी चाहिए।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।
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