खर्राटे लेना एक बहुत ही आम समस्या है, लेकिन अगर किसी व्यक्ति को हर रात यह समस्या होती है, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि खर्राटे आमतौर पर स्लीप एपनिया का लक्षण होते हैं, लेकिन यह कई अन्य गंभीर बीमारियों से भी संबंधित हो सकते हैं।
खर्राटे की समस्या
खर्राटे आमतौर पर हर घर में किसी न किसी को आते हैं। कुछ लोग इतने शर्मिंदा होते हैं कि दूसरे लोग सोते समय उनके खर्राटे सुनते हैं। हालांकि, खर्राटे लेना एक गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है, खासकर बुजुर्गों में, जहाँ इसे सामान्य माना जाता है। प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. रमाकांत पांडा कहते हैं कि खर्राटे लेना एक गंभीर स्वास्थ्य संकेत हो सकता है।
खर्राटे क्यों आते हैं?
खर्राटे तब आते हैं जब सोते समय गर्दन की मांसपेशियों में खिंचाव होता है। कुछ लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है, जिसके कारण उन्हें खर्राटे आते हैं। उम्र के साथ, मांसपेशियों के ढीले होने और शारीरिक गतिविधि में कमी के कारण भी खर्राटे बढ़ सकते हैं।
नासिका से संबंधित रोग
- हृदय रोग: कम व्यायाम, असंतुलित आहार और अधिक वज़न वाले लोग ज़्यादा खर्राटे लेते हैं, जिससे हृदय गति रुकने और दिल के दौरे का ख़तरा बढ़ जाता है।
- मधुमेह: खर्राटे और स्लीप एपनिया शारीरिक गतिविधि और इंसुलिन की क्रिया में बाधा डालते हैं, जिससे मधुमेह का ख़तरा बढ़ सकता है।
- उच्च रक्तचाप: तेज़ खर्राटे लेना उच्च रक्तचाप का संकेत हो सकता है, क्योंकि खर्राटे लेने से रक्त में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। इससे हृदय में रक्त संचार धीमा हो सकता है, जिससे दिल का दौरा भी पड़ सकता है।
इसके अलावा, ज़्यादा खर्राटे लेने से अवसाद, याददाश्त कम होना और सुबह सिरदर्द जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
खर्राटे कैसे कम करें?
- अपनी सोने की मुद्रा बदलें और पीठ के बल कम सोएँ।
- हवा को नम रखने के लिए कमरे में ह्यूमिडिफायर लगाएँ।
- धूम्रपान और शराब का सेवन कम करें।
- वजन नियंत्रण पर ध्यान दें।
- अगर समस्या गंभीर है, तो किसी विशेषज्ञ से सलाह लें।
इन उपायों को अपनाकर आप खर्राटों को कम कर सकते हैं और अपने स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं।
