(1) कान छिदवाने की परंपरा: भारत में लगभग सभी धर्मों में कान छिदवाना एक परंपरा है। वैज्ञानिक तर्क-दार्शनिकों का मानना है कि इससे सोचने की शक्ति बढ़ती है। जबकि डॉक्टरों का मानना है कि इससे वाणी में सुधार होता है और कान से मस्तिष्क तक जाने वाली नसों में रक्त संचार नियंत्रित होता है।
(2) माथे पर कुमकुम/तिलक: महिलाएँ और पुरुष माथे पर कुमकुम या तिलक लगाते हैं।
वैज्ञानिक तर्क – आँखों के बीच से माथे तक एक नस जाती है। कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा सुरक्षित रहती है। माथे पर तिलक करते समय, जब अंगूठे या उंगली से दबाव डाला जाता है, तो चेहरे की त्वचा को रक्त पहुँचाने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है। जिससे चेहरे की कोशिकाओं तक रक्त अच्छी तरह पहुँचता है।
(3) ज़मीन पर बैठकर भोजन करना: भारतीय संस्कृति के अनुसार, ज़मीन पर बैठकर भोजन करना अच्छा माना जाता है। वैज्ञानिक तर्क – पीठ के बल बैठना योगासन का एक रूप है। इस स्थिति में बैठने से मन शांत रहता है और अगर भोजन करते समय मन शांत रहे, तो पाचन क्रिया अच्छी रहती है। इस स्थिति में बैठते ही मस्तिष्क से पेट तक स्वतः ही संकेत पहुँच जाता है कि वह भोजन के लिए तैयार है।
(4) हाथ जोड़कर नमस्ते करें: जब हम किसी से मिलते हैं तो हम हाथ जोड़कर नमस्ते या नमस्कार करते हैं। वैज्ञानिक तर्क – जब सभी उँगलियाँ एक-दूसरे के संपर्क में आती हैं और उन पर दबाव पड़ता है। एक्यूप्रेशर का हमारी आँखों, कानों और मस्तिष्क पर सीधा प्रभाव पड़ता है, जिससे हम सामने वाले व्यक्ति को लंबे समय तक याद रख पाते हैं। एक और तर्क यह है कि अगर आप हाथ मिलाने (पश्चिमी सभ्यता) के बजाय नमस्ते कहते हैं, तो दूसरे व्यक्ति के शरीर के कीटाणु आप तक नहीं पहुँच सकते। अगर किसी दूसरे व्यक्ति को स्वाइन फ्लू हो भी जाए, तो भी वायरस आप तक नहीं पहुँचेगा।
(5) भोजन मसालेदार से शुरू होता है और मीठे पर समाप्त होता है: जब भी कोई धार्मिक या पारिवारिक समारोह होता है, तो भोजन मसालेदार से शुरू होता है और मीठे पर समाप्त होता है।
वैज्ञानिक तर्क – मसालेदार भोजन खाने से हमारे पेट के अंदर पाचन तत्व और अम्ल सक्रिय हो जाते हैं, जिससे पाचन तंत्र ठीक से काम करता है। मीठा खाने से अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है, जिससे पेट में जलन नहीं होती।
(6) पीपल पूजा: कई लोग मानते हैं कि पीपल की पूजा करने से भूत-प्रेत भाग जाते हैं। वैज्ञानिक तर्क – इस वृक्ष की पूजा लोगों में इसके प्रति सम्मान बढ़ाने और इसे काटने से रोकने के लिए की जाती है। पीपल एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो रात में भी ऑक्सीजन छोड़ता है।
(7) दक्षिण दिशा में सिर करके सोना: यदि कोई व्यक्ति दक्षिण दिशा में पैर करके सोता है, तो लोग कहते हैं कि उसे बुरे सपने आएंगे, भूत-प्रेत का साया होगा, पूर्वजों के घर जाना होगा आदि। वैज्ञानिक तर्क – जब हम उत्तर दिशा में सिर करके सोते हैं, तो हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों के साथ संरेखित होता है। शरीर में मौजूद आयरन मस्तिष्क में जाने लगता है, जिससे अल्ज़ाइमर, पार्किंसन या मस्तिष्क संबंधी अन्य बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है। इतना ही नहीं, रक्तचाप भी बढ़ जाता है।
(8) सूर्य नमस्कार: हिंदुओं में सुबह सूर्य को नमस्कार करने की परंपरा है। वैज्ञानिक तर्क – जब जल से होकर आने वाली सूर्य की किरणें हमारी आँखों तक पहुँचती हैं, तो हमारी दृष्टि बेहतर होती है।
(9) सिर पर चोटी: हिंदू धर्म में ऋषि-मुनि अपने सिर पर चोटी रखते थे, आज भी लोग इसे रखते हैं। वैज्ञानिक तर्क – जिस स्थान पर चुटिया रखी जाती है, वहाँ मस्तिष्क की सभी नसें एक साथ आती हैं, जिससे मन शांत रहता है और क्रोध नहीं आता। सोचने की क्षमता बढ़ती है।
(10) उपवास: जब भी कोई पूजा या त्यौहार होता है, लोग उपवास रखते हैं। वैज्ञानिक तर्क – आयुर्वेद के अनुसार, उपवास पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है और फलों का सेवन शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, उपवास कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह आदि के खतरे को भी कम करता है।
(11) चरण स्पर्श: हिंदू मान्यता के अनुसार, जब भी आप किसी बड़े से मिलें, तो बड़ों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उनके पैर छूएँ। वैज्ञानिक तर्क – मस्तिष्क से निकलने वाली ऊर्जा हाथों और अगले पैरों से होते हुए एक चक्र पूरा करती है जिसे ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रवाह या छोटे के हाथों से बड़ों के पैरों तक कहा जाता है।
(12) सिंदूर क्यों लगाया जाता है? विवाहित हिंदू महिलाएं सिंदूर लगाती हैं। वैज्ञानिक तर्क – सिंदूर में हल्दी, चूना और पारा होता है। यह मिश्रण शरीर के रक्तचाप को नियंत्रित करता है। विधवाओं के लिए सिंदूर लगाना वर्जित है, इससे तनाव कम होता है।
(13) तुलसी के पेड़ की पूजा तुलसी की पूजा करने से घर में समृद्धि और शांति आती है। वैज्ञानिक तर्क – तुलसी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है। इसलिए अगर घर में कोई पेड़ है, तो उसके पत्तों का भी इस्तेमाल किया जाता है और यह बीमारियों को दूर करता है। अगर आपको हिंदू परंपराओं से जुड़े ये वैज्ञानिक तर्क वाकई पसंद आए, तो इन्हें दूसरों के साथ साझा करें।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।
