मुस्कुराहट आपकी खूबसूरती में चार चाँद लगा देती है, लेकिन अगर मुस्कुराते हुए आपके दांत पीले, कैविटी और खोखले दिखाई दें, तो यह शर्मिंदगी का कारण भी बन सकता है।
आजकल लोग ज़्यादा मीठा और अस्वास्थ्यकर खाना खाने लगे हैं, जिससे दांतों में कैविटी की समस्या आम होती जा रही है। वहीं, अगर समय रहते इस पर ध्यान न दिया जाए, तो दांत खोखले होने लगते हैं।
ढीले दांतों से बचने के लिए ये आयुर्वेदिक उपाय आजमाएँ
नंबर 1- लौंग का सेवन
डॉ. जैदी कहते हैं कि आयुर्वेद में लौंग के कई फायदे बताए गए हैं। इनमें से एक है दांतों की मजबूती। लौंग एक शक्तिशाली औषधीय मसाला है जिसमें यूजेनॉल नामक पदार्थ होता है।
यूजेनॉल एंटीसेप्टिक और जीवाणुरोधी गुणों से भरपूर होता है, ये गुण बैक्टीरिया को मारने और कैविटी को रोकने में कारगर होते हैं। ऐसे में डॉक्टर हर बार खाना खाने के बाद लौंग चबाने की सलाह देते हैं।
नंबर 2- अमरूद के पत्ते
अमरूद के पत्तों में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण दांतों और मसूड़ों की रक्षा करते हैं। एक आयुर्वेदिक चिकित्सक के अनुसार, भोजन के बाद 1-2 ताज़े अमरूद के पत्ते चबाने से मुँह से हानिकारक बैक्टीरिया दूर होते हैं और मसूड़े भी मज़बूत होते हैं। ऐसे में, यह दांतों को मज़बूत बनाने का एक सस्ता और कारगर तरीका हो सकता है।
नंबर 3- नीम का दातुन
सलीम ज़ैदी के अनुसार, नीम में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो प्लाक, बैक्टीरिया और दांतों की सड़न को कम करने में मदद करते हैं। रोज़ सुबह नीम के टूथपेस्ट से ब्रश करने से मसूड़े स्वस्थ रहते हैं और दांत लंबे समय तक मज़बूत रहते हैं।
नंबर 4- तुलसी के पत्ते
इन सबके अलावा, डॉक्टर भी कहते हैं कि तुलसी के पत्ते दांतों के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टरों के अनुसार, तुलसी एक दिव्य जड़ी बूटी है जिसका उपयोग आयुर्वेद में सभी प्रकार के संक्रमणों से लड़ने के लिए किया जाता है।
मुँह साफ़ करने और बैक्टीरिया दूर करने के लिए 3 से 4 तुलसी के पत्तों को पानी में उबालें और इससे गरारे करें। यह उपाय मसूड़ों की सूजन और दांत दर्द से भी राहत दिलाता है।
डॉ. जैदी के अनुसार, उम्र के साथ दांतों में कीड़ा लगना, कैविटी या मसूड़ों में सूजन जैसी दंत समस्याएं आम हो सकती हैं, लेकिन इन आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर आप अपने दांतों को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ और मजबूत रख सकते हैं।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।