जेनेरिक बनाम ब्रांडेड दवाइयाँ: दवाइयाँ खरीदते समय हमारे पास महंगी ब्रांडेड दवाइयाँ या सस्ती जेनेरिक दवाइयाँ (ब्रांडेड बनाम जेनेरिक दवाइयाँ) खरीदने का विकल्प होता है। ऐसे में अगर आपको लगता है कि महंगी दवाइयाँ ज़्यादा असरदार होती हैं, तो यह लेख आपके लिए है। आइए अब जेनेरिक और ब्रांडेड दवाओं के बीच के अंतर को समझते हैं। क्या सस्ती दवाएँ वाकई कम असरदार होती हैं? जब भी हम किसी बीमारी के इलाज के लिए दवा खरीदते हैं, तो हमें दो तरह के विकल्प मिलते हैं – ब्रांडेड दवा, जेनेरिक दवा। आम तौर पर लोग मानते हैं कि महंगी ब्रांडेड दवाएँ ज़्यादा असरदार होती हैं, जबकि सस्ती जेनेरिक दवाएँ कम असरदार होती हैं, लेकिन क्या यह सच है? ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं में क्या अंतर है? आइए जानें कि जेनेरिक दवाओं के बारे में लोगों की गलतफहमियाँ सच हैं या नहीं। जेनेरिक और ब्रांडेड दवाओं में क्या अंतर है? ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं में सबसे बड़ा अंतर उनके नाम और कीमतों का है, लेकिन उनके सक्रिय तत्व एक ही होते हैं। यह तत्व बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है। तो यह अंतर कहाँ से आता है? आइए विस्तार से समझते हैं।
1) ब्रांडेड दवाएँ
- ये दवाइयाँ मिलकर एक बड़ी दवा कंपनी बनाती हैं।
- कंपनियाँ नई दवाओं के लिए अनुसंधान पेटेंट में भारी निवेश करती हैं।
- वे अपनी मार्केटिंग और विज्ञापन पर भी भारी रकम खर्च करती हैं।
- पेटेंट के कारण कोई अन्य कंपनी इसे नहीं बना सकती, इसलिए यह महंगी है।
2) सामान्य दवाइयाँ
- जब किसी ब्रांडेड दवा का पेटेंट समाप्त हो जाता है, तो दूसरी कंपनियाँ उसी दवा को बिना ब्रांड नाम के कम कीमत पर बना सकती हैं।
- ये दवाएँ ब्रांडेड दवाओं जितनी ही सुरक्षित और प्रभावी हैं।
- इसमें किसी भी तरह के शोध विज्ञापन का खर्च नहीं आता, जिससे यह सस्ती हो जाती है।
जेनेरिक हैं क्या दवाएँ कम असरदार होती हैं?
कई लोगों को यह गलतफहमी है कि जेनेरिक दवाएँ कम असरदार होती हैं। दरअसल, जेनेरिक दवाओं की प्रभावकारिता, सुरक्षा और गुणवत्ता की निगरानी सरकारी एजेंसियों (भारत में सीडीएससीओ, अमेरिका में एफडीए) द्वारा की जाती है। उनकी निर्माण प्रक्रिया और प्रभाव ब्रांडेड दवाओं के समान ही होते हैं। हालाँकि, कुछ मामलों में जेनेरिक दवाओं और ब्रांडेड दवाओं में अंतर हो सकता है:
- गोली का आकार या आकृति: जेनेरिक दवाओं के रंग, आकृति और भराव में अंतर हो सकता है, लेकिन सक्रिय तत्व समान रहते हैं।
- उपलब्धता: कुछ मामलों में, शरीर द्वारा दवा के अवशोषण की दर में थोड़ा अंतर हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर चिकित्सकीय रूप से महत्वपूर्ण नहीं होता है।
जेनेरिक दवाएं सस्ती क्यों होती हैं?
कई लोगों को यह ग़लतफ़हमी है कि सस्ती दवाएँ कम असरदार होती हैं, लेकिन जेनेरिक दवाएँ सस्ती होती हैं क्योंकि:
- इस पर नए शोध करने में कोई लागत नहीं आती।
- इन्हें विज्ञापन या मार्केटिंग की ज़रूरत नहीं होती।
- कई कंपनियाँ एक जैसी दवाएँ बनाती हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और कीमतें कम रहती हैं।
- सरकार भी जेनेरिक दवाओं को बढ़ावा देती है ताकि सस्ती और असरदार दवाएँ आम लोगों तक पहुँच सकें।
क्या आपको जेनेरिक दवाएँ खरीदनी चाहिए? अगर डॉक्टर कोई जेनेरिक दवा लिखते हैं, तो उसे बिना किसी हिचकिचाहट के लिया जा सकता है। कई सरकारी अस्पतालों में “जन औषधि केंद्र” चलते हैं जो जेनेरिक दवाएँ उपलब्ध कराते हैं, लेकिन कुछ ज़रूरी बातें ध्यान देने योग्य हैं:
अच्छी गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाएँ खरीदें – कुछ स्थानीय कंपनियाँ कम गुणवत्ता वाली दवाएँ भी बना सकती हैं, इसलिए केवल सत्यापित मेडिकल स्टोर से ही खरीदें।
नमक (सक्रिय तत्व) की जाँच करें – पैकेट पर लिखे सक्रिय तत्वों की जाँच करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे डॉक्टर की सलाह से मेल खाते हैं।
डॉक्टर या फार्मासिस्ट से सलाह लें – यदि संदेह हो, तो किसी विशेषज्ञ से सलाह लें। कुल मिलाकर, यह कहना गलत है कि केवल ब्रांडेड दवाएँ ही ज़्यादा असरदार होती हैं। अगर आप सही गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवा खरीदते हैं, तो वह ब्रांडेड दवा जितनी ही असरदार हो सकती है। इसलिए अगली बार जब आप कोई दवा खरीदें, तो ब्रांड के नाम से प्रभावित होने के बजाय, सक्रिय तत्वों की गुणवत्ता पर ध्यान दें।
रकार भी जेनेरिक दवाओं को बढ़ावा दे रही है ताकि सभी को सस्ता और प्रभावी इलाज मिल सके। अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।