फैटी लिवर की समस्या तब होती है जब लिवर में फैट जमा होने लगता है। यही जमा फैट लिवर से जुड़ी समस्याओं का कारण बनता है। खानपान पर ध्यान न देना फैटी लिवर का सबसे बड़ा कारण है।
अत्यधिक शराब का सेवन लिवर को नुकसान पहुँचाने लगता है। इसके अलावा, मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज और उच्च रक्तचाप नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर के जोखिम कारकों में से हैं।
न्यूट्रिशनिस्ट आशिमा अचंतानी ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर की है जिसमें वह बता रही हैं कि फैटी लिवर होने पर कौन से खाद्य पदार्थ खाना फायदेमंद होता है।
न्यूट्रिशनिस्ट के अनुसार, ये चीज़ें फैटी लिवर को साफ़ करती हैं और डिटॉक्स करने का काम करती हैं। अगर आप भी फैटी लिवर से पीड़ित हैं, तो इन चीज़ों को अपने आहार का हिस्सा बना सकते हैं।
फैटी लिवर होने पर क्या खाएं?
हल्दी
फैटी लिवर की समस्या में हल्दी का सेवन फायदेमंद साबित होता है। एक गिलास पानी या दूध में हल्दी और थोड़ी सी काली मिर्च मिलाएँ।
एक हफ्ते तक लगातार पिएँ, फिर दो हफ्ते के लिए छोड़ दें और फिर एक हफ्ते तक लगातार पिएँ। हल्दी लिवर डिटॉक्स में फायदेमंद साबित हुई है।
लहसुन
लहसुन को पीसकर पानी के साथ लें या अन्य खाद्य पदार्थों में मिलाएँ। लहसुन लिवर में जमा चर्बी को हटाने में कारगर है।
लहसुन का सेवन न केवल लिवर डिटॉक्स में मदद करता है, बल्कि उच्च कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित लोगों को भी कच्चा लहसुन खाने से लाभ होता है।
नींबू
रोज़ाना एक नींबू का रस पीने से लिवर डिटॉक्सीफाई होने लगता है। खाने पर नींबू का रस निचोड़ने से भी फैटी लिवर में फ़ायदा होता है। इससे लिवर साफ़ होने लगता है।
टमाटर
टमाटर में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। ऐसे में टमाटर को कच्चा खाया जा सकता है। न्यूट्रिशनिस्ट कहती हैं कि आप टमाटर का सलाद बनाकर खा सकते हैं।
ओट्स
ओट्स में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है। फाइबर पेट की समस्याओं से राहत दिलाने में ख़ास तौर पर फ़ायदेमंद होता है। फैटी लिवर की समस्या में इसका सेवन लिवर के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।
ओट्स को आप अपनी पसंद के अनुसार खा सकते हैं। इसे पीसकर इसके आटे से रोटी, चीला, मसाले के तौर पर या फिर मिक्सचर के तौर पर भी खाया जा सकता है।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी फ़ैसला लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।
