आज हम आपको लहसुन खाने के सही तरीके के बारे में बता रहे हैं। आपसे विनम्र निवेदन है कि इसे शेयर करें ताकि हर ज़रूरतमंद व्यक्ति इसका लाभ उठा सके। भारत में लहसुन का इस्तेमाल लंबे समय से होता आ रहा है। इसका इस्तेमाल दालों और सब्ज़ियों में किया जाता है। इसका इस्तेमाल दवाइयाँ बनाने में भी होता है।
ऐसा माना जाता है कि देवताओं और राक्षसों के बीच हुए अमृत युद्ध में अमृत की कुछ बूँदें धरती पर बिखरी थीं, उन्हीं से धरती पर पौधे उग आए। वह लहसुन का पौधा था। इसलिए कहा जाता है कि लहसुन अमृत है। आइए इसके कुछ चमत्कारी प्रयोग देखें जो आपकी कई समस्याओं, खासकर मोटापे को दूर कर सकते हैं।
ऐसा माना जाता है कि इसका सेवन करने वाले व्यक्ति के दाँत, मांस, नाखून, बाल और रंग कमजोर नहीं होते। यह पेट के कीड़ों को मारता है और खांसी से राहत देता है। लहसुन कब्ज दूर करने और आँखों के रोगों को दूर करने वाला माना जाता है। अगर आप अतिरिक्त वजन से परेशान हैं तो लहसुन के इन असरदार प्रयोगों को अपनाएँ।
आयुर्वेद में लहसुन के फायदों का ज़िक्र हज़ारों बार किया गया है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसे कैसे खाना चाहिए। अब हम जानेंगे कि लहसुन खाने का सही तरीका क्या है और यह हमें कैसे फ़ायदा पहुँचाएगा। लहसुन रक्तचाप को सामान्य करता है और कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकता है। इसके अलावा, लहसुन खाने के कई फ़ायदे हैं।
उपयोग की मात्रा:
हम कितना लहसुन खा सकते हैं – आप एक दिन में 4 से 5 ग्राम लहसुन खा सकते हैं। इससे ज़्यादा खाना आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं हो सकता है।
खाने का सही तरीका:
लहसुन को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। काटने के बाद उसे पीस लें। पीसने के बाद, उसे 10 मिनट तक ऐसे ही रहने दें, यह बहुत ज़रूरी है क्योंकि अगर आप पीसने के तुरंत बाद इसका इस्तेमाल करेंगे, तो आपको इसके पूरे फ़ायदे नहीं मिल पाएँगे।
किसे नहीं खाना चाहिए?
अगर कोई व्यक्ति रक्त पतला करने वाली दवाएँ ले रहा है, तो उसे लहसुन खाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि यह रक्त पतला करने वाली दवाओं के विपरीत काम करता है।
अगर आप भी इन दवाओं का सेवन करते हैं, तो आपको लहसुन खाने से बचना चाहिए। जिन लोगों को कच्चे लहसुन से अपच होती है, उन्हें पका हुआ लहसुन खाना चाहिए।
लहसुन खाने के 15 अद्भुत फ़ायदे:
लहसुन की 5 कलियाँ थोड़े से पानी में पीस लें और उसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। इस उपाय को अपनाने से सफेद बाल काले हो जाएँगे। लहसुन के नियमित सेवन से पेट और ग्रासनली के कैंसर और स्तन कैंसर की संभावना कम हो जाती है।
बालों का झड़ना: लहसुन का रस बालों पर लगाकर सूखने दें। इस तरह लहसुन का रस दिन में 3 बार, लगातार 60 दिनों तक लगाएँ। इससे सिर पर बाल उग आते हैं।
सिर की जूँ: लहसुन को पीसकर नींबू के रस में मिलाएँ। रात को सोने से पहले इसे सिर पर लगाएँ और सुबह धो लें। ध्यान रहे कि आँखों पर न लगे। इससे सिर की जूँएँ मर जाती हैं।
दांत दर्द: दांत दर्द या कीड़े के काटने पर लहसुन का रस लगाने से दर्द में आराम मिलता है। लहसुन की एक कली दांत के नीचे रखकर उसका रस चूसने से दर्द में तुरंत आराम मिलता है। लहसुन को पीसकर सरसों के तेल में मिलाकर आंच पर गर्म करें। लहसुन के जल जाने पर तेल को ठंडा करके छान लें। इस तेल में थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर रोजाना मंजन करें। इससे सभी प्रकार के दंत रोग दूर होते हैं। लहसुन को आग पर भूनकर दांतों के बीच दबा लें। यह दांत दर्द को ठीक करता है।
कफ: लहसुन खाने से श्वसन तंत्र में जमा कफ आसानी से निकल जाता है। यह टी.बी. के रोगियों के लिए बहुत लाभकारी है।
हार्ट अटैक: हार्ट अटैक के दौरान लहसुन की 4-5 कलियाँ चबाकर खानी चाहिए। ऐसा करने से हार्ट अटैक का खतरा नहीं रहता। इसके बाद लहसुन को दूध में उबालकर पिलाना चाहिए। हृदय रोग में लहसुन देने से पेट फूलने की समस्या दूर होती है। यह हृदय पर दबाव कम करता है और हृदय को मजबूत बनाता है।
बुढ़ापे की झुर्रियाँ: जो व्यक्ति प्रतिदिन लहसुन चबाता है। उसके चेहरे पर झुर्रियाँ नहीं पड़तीं।
प्लूरिसी: फेफड़ों में पानी भरा हो, बुखार हो, सांस फूल रही हो और सीने में दर्द हो, तो पिसे हुए लहसुन को गेहूँ के आटे में मिलाकर गर्म सेंक करने से लाभ होता है।
सुबह-शाम 3.5 से 7 मिलीलीटर लहसुन का रस पीने से एड्रेनल टी.बी. ठीक हो जाती है। या किसी भी प्रकार की टी.बी. में लाभ मिलता है। 250 मिलीलीटर दूध में 10 लहसुन की कलियाँ उबालकर खाएँ और फिर वही दूध पी लें। इस प्रयोग को लंबे समय तक जारी रखने से टीबी ठीक हो जाती है।
सुबह-शाम लहसुन की 1-2 कलियाँ खाएँ और ऊपर से ताज़ा पानी पिएँ। लहसुन क्षय रोग (टी.बी.) के इलाज में बहुत मददगार है।
फुफ्फुसीय टीबी: लहसुन के सेवन से कफ कम होता है। यह रात में पसीना आने से रोकता है, भूख बढ़ाता है और अच्छी नींद लाता है।
फेफड़ों में क्षय रोग (टी.बी.) होने पर लहसुन के रस में भीगी रुई को सूंघना चाहिए ताकि उसकी गंध साँस में मिलकर फेफड़ों तक पहुँच जाए। लंबे समय तक सूंघने से लाभ होता है। भोजन के बाद भी लहसुन का सेवन करना चाहिए। क्षय रोग, गठिया और अस्थि क्षय में लहसुन का सेवन बहुत लाभकारी होता है।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।