शास्त्रों और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुछ दिनों में पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध वर्जित माने जाते हैं। ऐसा करने से न केवल वैवाहिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, बल्कि बच्चों और परिवार की समृद्धि पर भी बुरा असर पड़ता है। आइए जानें उन दिनों के बारे में जब शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए और उनके क्या संभावित खतरनाक नुकसान हो सकते हैं।
(1) पूर्णिमा और अमावस्या:
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, पति-पत्नी को प्रत्येक माह की पूर्णिमा और अमावस्या तिथियों पर शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि इन दिनों नकारात्मक ऊर्जाएँ सक्रिय होती हैं, जो वैवाहिक जीवन में कलह पैदा कर सकती हैं और बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं। इन तिथियों पर संबंध बनाने से पारिवारिक कलह और आर्थिक समस्याएँ हो सकती हैं।(2) चतुर्थी और अष्टमी:प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, किसी भी महीने की चतुर्थी (चौथी तिथि) और अष्टमी (आठवीं तिथि) को पति-पत्नी को शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए। इन दिनों में संबंध बनाने से बच्चे के करियर और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। साथ ही, दंपत्ति के बीच मतभेद और झगड़े की संभावना भी बढ़ जाती है।(3) रविवार:रविवार को सूर्य देव का दिन माना जाता है, जो ऊर्जा और शक्ति के प्रतीक हैं। शास्त्रों में इस दिन शारीरिक संबंध बनाने से परहेज करने की सलाह दी गई है, क्योंकि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में तनाव आ सकता है और बच्चों के भविष्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इसके अलावा, रविवार को संबंध बनाने से आर्थिक नुकसान और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं।(4) संक्रांति:सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश संक्रांति कहलाता है। धार्मिक दृष्टि से इस दिन को पवित्र माना जाता है और स्नान, दान आदि का विशेष महत्व है।पति-पत्नी को संक्रांति के दिन शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से उनके रिश्ते में दरार आ सकती है और उनके बच्चों के जीवन में बाधाएँ आ सकती हैं।(5) श्राद्ध पक्ष:पितरों की शांति के लिए समर्पित श्राद्ध पक्ष में पंद्रह दिनों तक विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दौरान शारीरिक संबंध बनाना वर्जित माना जाता है, क्योंकि ऐसा करने से माता-पिता नाराज़ हो सकते हैं, घर की सुख-शांति भंग हो सकती है और आर्थिक समस्याएँ पैदा हो सकती हैं।संभावित रूप से खतरनाक नुकसान:बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव: उपरोक्त दिनों में संबंध बनाने से बच्चे के स्वास्थ्य, करियर और स्वभाव पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसा बच्चा ज़िद्दी, गुस्सैल और घमंडी हो सकता है, जो परिवार के लिए चिंता का विषय हो सकता है।वैवाहिक जीवन में कलह: इन वर्जित दिनों में शारीरिक संबंध बनाने से पति-पत्नी के बीच मतभेद, विवाद और तनाव हो सकता है, जिससे वैवाहिक जीवन में अस्थिरता आ सकती है।आर्थिक समस्याएँ: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन दिनों संबंध बनाने से आर्थिक हानि और धन की कमी हो सकती है, जिसका असर परिवार की समृद्धि पर पड़ता है।स्वास्थ्य समस्याएँ: अशुभ दिनों में संभोग करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे दंपत्ति विभिन्न रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं।पितृ अप्रसन्नता: विशेष रूप से श्राद्ध पक्ष के दौरान संबंध बनाने से पितृ अप्रसन्न हो सकते हैं, जिससे घर में अशांति, कलह और दुर्भाग्य का वातावरण बनता है।धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुसार, पति-पत्नी को कुछ दिनों में शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है, साथ ही संतान और परिवार की समृद्धि भी सुरक्षित रहती है। इन नियमों का पालन करके दंपत्ति अपने जीवन को सुखी और समृद्ध बना सकते हैं।