कैसे पता करें कि आपका दिल स्वस्थ है या नहीं? हार्ट अटैक से बचने के लिए कहाँ जाँच करवानी चाहिए? जानिए…

WhatsApp Group Join Now

दुनिया भर में हृदय रोग के मामलों में जिस तरह से वृद्धि हो रही है, वह निश्चित रूप से चिंता का विषय है। कुछ दशक पहले तक हृदय रोग को बढ़ती उम्र की समस्या माना जाता था, लेकिन अब 20 साल से कम उम्र के लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। खासकर कोरोना महामारी के बाद, हृदय रोग और दिल के दौरे के मामले बढ़ रहे हैं। हाल के दिनों में जिम में व्यायाम करते, खेल खेलते या पार्टियों में नाचते समय दिल का दौरा पड़ने से लोगों की मौत की कई खबरें आई हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि दिल का दौरा एक जानलेवा स्थिति है। जीवनशैली और खान-पान संबंधी विकारों से पीड़ित लोगों में इसके मामले सबसे आम हैं। कई अध्ययन यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि कोरोना से संक्रमित लोगों में हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे लोगों को विशेष रूप से सावधान रहने की ज़रूरत है।
आप कैसे पता लगा सकते हैं कि आपको भी खतरा है?
हृदय रोग और दिल का दौरा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हृदय रोग आज दुनिया भर में मृत्यु का प्रमुख कारण है। पिछले कुछ वर्षों में, खासकर युवाओं में, दिल के दौरे की घटनाओं में तेज़ी से वृद्धि हुई है। अनियमित जीवनशैली, तनाव, अनियमित खान-पान और व्यायाम की कमी इसे आम बना देते हैं। दिल का दौरा तब पड़ता है जब हृदय को रक्त और ऑक्सीजन पहुँचाने वाली धमनियाँ (कोरोनरी धमनियाँ) अवरुद्ध हो जाती हैं। इससे हृदय की मांसपेशियों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और हृदय काम करना बंद कर देता है।
हृदय रोग का खतरा एक अध्ययन में पाया गया है कि भारत में 25 से 45 वर्ष की आयु के पुरुषों और महिलाओं में दिल के दौरे के मामले पिछले एक दशक में दोगुने हो गए हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि हृदय रोग का खतरा किसी को भी हो सकता है, इसलिए पहले से ही सावधानी बरतना ज़रूरी है। एहतियात के तौर पर, आप कुछ जाँच करवा सकते हैं जिनसे आपको पता चल जाएगा कि आपके हृदय में कोई समस्या है या नहीं।
हृदय के लिए कौन से परीक्षण करवाने चाहिए?
दिल्ली के एक निजी अस्पताल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि प्रकाश ने अमर उजाला से बात करते हुए कहा कि रक्त संचार की गति जानने के लिए रक्तचाप सबसे सरल और महत्वपूर्ण जाँच है। इसके अलावा, आप कुछ और जाँच भी करवा सकते हैं जो हृदय के स्वास्थ्य का आकलन करने में मदद कर सकती हैं।
30 साल की उम्र के बाद सभी को नियमित जांच करानी चाहिए। आमतौर पर 25 साल की उम्र में रक्त और कोलेस्ट्रॉल की जांच करवाई जाती है। 35 साल की उम्र में इन जांचों के साथ-साथ टीएमटी जांच भी करवानी चाहिए। लोगों को मेडिकल इतिहास और शारीरिक स्थिति के आधार पर अलग-अलग जांचों की आवश्यकता हो सकती है, कृपया इस बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लें।
  • ईसीजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम): हृदय की विद्युतीय गतिविधि की जाँच करता है।
  • इको (इकोकार्डियोग्राफी): हृदय की संरचना और कार्य के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
  • टीएमटी (ट्रेडमिल टेस्ट): हृदय की शारीरिक श्रम करने की क्षमता का परीक्षण करता है।
  • लिपिड प्रोफाइल: कोलेस्ट्रॉल के स्तर को दर्शाता है।
  • एचएस-सीआरपी परीक्षण: हृदय में सूजन दर्शाता है।
यहाँ यह समझना ज़रूरी है कि अगर आपका ईसीजी परीक्षण सामान्य है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपको हृदय रोग नहीं है। ईसीजी परीक्षण तब तक सामान्य रहता है जब तक दिल का दौरा न पड़े। नियमित रक्त-कोलेस्ट्रॉल, रक्तचाप और ज़रूरत पड़ने पर ईसीजी-इको जाँच से आपके हृदय के स्वास्थ्य का पता लगाया जा सकता है।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।
WhatsApp Group Join Now

Leave a Comment