अगर आप भी रात 1 बजे के बाद सोते हैं तो सावधान! सेहत पर पड़ सकता है ये खतरनाक असर…

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अगर आपको देर रात तक जागने की आदत है और आपको लगता है कि इसमें कोई बुराई नहीं है, तो आपको अपनी आदत बदलने की ज़रूरत है। हाल ही में हुए एक बड़े शोध में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। 70,000 से ज़्यादा लोगों पर 8 साल तक किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि रात 1 बजे के बाद सोने से मानसिक और व्यवहार संबंधी समस्याओं का ख़तरा बढ़ जाता है।

यह शोध जर्नल साइकियाट्री रिसर्च में प्रकाशित हुआ है, जिसमें स्टैनफोर्ड मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने 75,000 वयस्कों की नींद की आदतों का विश्लेषण किया। इस शोध में उन्होंने पाया कि जो लोग देर रात तक जागते हैं, उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों की नींद की प्राथमिकताओं की तुलना उनकी वास्तविक नींद की आदतों से की। नतीजों से पता चला कि चाहे कोई व्यक्ति सुबह जल्दी उठे या देर रात तक जागता हो, अगर वह रात 1 बजे के बाद सोता है, तो उसका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।

देर रात सोने से मानसिक बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है शोध के अनुसार, देर रात सोने वालों में अवसाद और चिंता जैसी मानसिक बीमारियों का खतरा ज़्यादा होता है। अध्ययन के वरिष्ठ लेखक और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जेमी ज़ीटगर का कहना है कि सबसे ज़्यादा नुकसान देर रात तक जागने वालों को होता है।

लोग अक्सर रात में गलत फैसले लेते हैं, जिसका असर उनकी मानसिक स्थिति पर पड़ता है। शोध के अनुसार, देर रात तक जागने वालों में आत्महत्या के विचार, हिंसक अपराध, शराब और नशीले पदार्थों का सेवन और ज़्यादा खाना जैसी आदतें ज़्यादा आम हैं। जल्दी सोने की आदत कैसे डालें? अगर आप अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित किए बिना अच्छी नींद लेना चाहते हैं, तो रात 1 बजे के बाद उठने की आदत छोड़ दें। इसके लिए इन आसान तरीकों को अपनाएँ।

  • हर दिन एक निश्चित समय पर सोएँ और उठें, भले ही वह छुट्टी का दिन न हो।
  • सोने से 1 घंटा पहले मोबाइल, टीवी और लैपटॉप से ​​दूर रहें।
  • सोने से पहले हल्का संगीत सुनें, किताब पढ़ें या ध्यान करें।
  • कैफ़ीन और भारी भोजन से चिप्स, खासकर रात में।
  • सुबह धूप में बैठें, इससे आपकी बॉडी क्लॉक ठीक रहेगी।

अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।

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