गर्मियों में तीती और तीती जैसे फल बहुतायत में मिलते हैं, जिनमें 90% तक पानी होता है। स्वादिष्ट होने के साथ-साथ ये सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं, इसलिए तरबूज और तीती खाने की सलाह दी जाती है लेकिन अक्सर लोगों के मन में यह सवाल होता है कि तीती की तासीर क्या होती है? यह गर्म होती है या ठंडी? इसका सेवन कैसे करना चाहिए और इसके क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं, तो चलिए आज हम आपकी सारी उलझनें दूर करते हैं और आपको तीती के बारे में, इसके स्वभाव से लेकर इसके इस्तेमाल के तरीके तक, सब कुछ बताते हैं।
टेटी ठंडी होती है या गर्म, इसका क्या प्रभाव होता है? टेटी की प्रकृति ठंडी मानी जाती है, क्योंकि इसमें 90% तक पानी होता है। इसमें प्राकृतिक मिठास होती है, यह मार्च और जून के बीच आती है। इसका रंग बाहर से हरा-भूरा और अंदर से हल्का नारंगी या पीला होता है। यह शरीर को ठंडा रखता है, हाइड्रेटेड रखता है और लू लगने से बचाता है। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर की गर्मी कम करने के लिए टेटी का सेवन करना चाहिए।
टेटी खाने के फायदे
गर्मियों में टेटी खाने से शरीर ठंडा रहता है। कब्ज और एसिडिटी से राहत मिलती है। टेटी खाने से त्वचा को नमी मिलती है, जिससे त्वचा में चमक आती है। अपने आहार में रोजाना टेटी का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यह वजन घटाने में भी मदद करता है। टेटी में विटामिन ए भरपूर मात्रा में होता है, जो आँखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। विटामिन सी त्वचा, बालों और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए ज़रूरी है।
टाटी खाते समय इन बातों का ध्यान रखें
टाटी को कभी भी खाली पेट नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इससे गैस या अपच हो सकती है। टेटी को कभी भी दूध या दही के साथ नहीं खाना चाहिए, इससे पेट खराब हो सकता है। कटे हुए टेटी को लंबे समय तक बाहर या फ्रिज में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इनमें ऐसे एंजाइम बनते हैं जो पेट के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
टेटी किसे खाना चाहिए?
टेटी शरीर को ठंडक और ताजगी देती है और शरीर में ऊर्जा बनाए रखती है, इसलिए धूप में बाहर जाने वाले लोगों को टेटी खानी चाहिए। टेटी में कैलोरी कम और फाइबर ज़्यादा होता है, जिससे पेट लंबे समय तक भरा रहता है। ऐसे में, वज़न कम करने वाले आहार के लिए यह एक बेहतरीन विकल्प है।
विटामिन A और C से भरपूर होने के कारण, टाटी त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखती है, उसे चमकदार बनाती है और उम्र बढ़ने के लक्षणों को भी कम करती है। जिन लोगों को कब्ज या पाचन संबंधी समस्या है, उन्हें फाइबर युक्त टाटी का सेवन ज़रूर करना चाहिए, क्योंकि ये पाचन तंत्र को बेहतर बनाती हैं।
टाटी किसे नहीं खानी चाहिए
- टट्टी में प्राकृतिक चीनी होती है, इसलिए मधुमेह रोगियों को इसे कम मात्रा में खाना चाहिए।
- टट्टी की तासीर ठंडी होती है, इसलिए सर्दी-जुकाम या एलर्जी से पीड़ित लोगों को इसका सेवन सावधानी से करना चाहिए।
- दूध या दही के साथ टट्टी खाने से अपच हो सकती है, क्योंकि इसके एंजाइम एसिडिटी और पेट दर्द का कारण बन सकते हैं।
