आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में तीन मुख्य दोष होते हैं: वात, पित्त और कफ। इनमें से पित्त दोष अग्नि और जल तत्वों से बना होता है। यह पाचन, तापमान नियंत्रण, बुद्धि, कुशाग्रता, क्रोध, उत्साह और भूख जैसे शारीरिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पित्त दोष बढ़ने के मुख्य कारण
अधिक तीखा, तला हुआ, खट्टा या मसालेदार खाना खाना।
गर्म जलवायु में रहना।
भूख लगना या अनियमित भोजन करना।
अधिक तनाव, क्रोध और उदासी के कारण भावनाएँ।
अनियमित नींद या बिल्कुल भी नींद न आना।
पित्त दोष के लक्षण
पेट खराब, एसिडिटी, गैस।
पेट में दर्द, भूख न लगना।
शरीर में गर्मी बढ़ना, अधिक क्रोध, चिंता।
आँखों में लालिमा या दर्द।
पित्त पथरी के लक्षण दिखाई देते हैं।
पित्त दोष का उपचार और घरेलू उपचार –1. खान-पान में सुधार करें: मसालेदार, खट्टे, तले और तीखे खाद्य पदार्थों से परहेज़ करें। ताज़ा घर का बना शाकाहारी भोजन ही लें। शरीर को ठंडक पहुँचाने वाले खाद्य पदार्थ जैसे नारियल पानी, दूध, तरबूज़, छुहारे, नींबू पानी आदि का सेवन करें।2. जीवनशैली में सुधार करें: प्रतिदिन सुबह समय पर उठें और उगते सूर्य को नमस्कार करें। शीतली प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, ध्यान और प्राणायाम जैसे योगासन करें, जो हमारे तनाव को कम करने में मदद करते हैं। नारियल तेल से शरीर की मालिश करना और पर्याप्त नींद लेना लाभदायक है।3. आयुर्वेदिक औषधियाँ: कुछ आयुर्वेदिक औषधियाँ पित्त दोष के उपचार में लाभकारी हो सकती हैं। जैसे, अविपत्तिकर चूर्ण, कामदुशा रस, अशोक घनवटी, शीतोपलादि चूर्ण और त्रिफला चूर्ण। इन औषधियों का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।पित्त दोष में क्या खाएं और क्या नहीं?पित्त दोष वाले लोगों को ठंडे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए और खट्टे व मसालेदार भोजन से बचना चाहिए। तुलसी और इलायची का सेवन लाभकारी है, जबकि अन्य मसालेदार खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।ताज़ी सब्ज़ियाँ खाएँ और निर्जलित व तैलीय भोजन से बचें। नींबू पानी फायदेमंद है, जबकि चाय और कॉफ़ी के अत्यधिक सेवन से बचना चाहिए। अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।