7 घंटे या उससे अधिक सोने वालों को हो सकती है ये गंभीर बीमारी, अपनाएं ये टिप्स…

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रात में अच्छी नींद लेना हमारी मानसिक शांति के लिए बेहद ज़रूरी है। नींद मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ाती है। नींद की कमी न सिर्फ़ ख़तरनाक है, बल्कि कई बीमारियों को भी न्योता देती है। कम सोने से अल्ज़ाइमर रोग हो सकता है।

इसके साथ ही, कम और ज़्यादा नींद, दोनों ही शरीर के लिए अच्छी नहीं होती, तो ऐसे में क्या करें? क्योंकि सही नींद का पैटर्न बनाए रखना समग्र स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है। हम आपको बताते हैं कि नेचर मेंटल हेल्थ की रिपोर्ट इस बारे में क्या कहती है।

रिपोर्ट क्या कहती है?

इंग्लैंड के वारविक विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, कम सोना भी अल्ज़ाइमर रोग का एक कारण है। वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि जब हमने मस्तिष्क के स्वास्थ्य का अध्ययन करने के लिए लोगों से हर रात 7 घंटे सोने को कहा, तो नतीजे अलग थे।

परिणाम क्या था?

इस अध्ययन के दो प्रकार थे। एक वे जो 7 घंटे या उससे कम सोते थे और दूसरे वे जो अधिक सोते थे। परिणाम अलग-अलग थे।

7 घंटे सोने वाले लोगों में अल्ज़ाइमर और संज्ञानात्मक रोगों के लक्षण देखे गए। इसलिए, 7 घंटे से कम सोने वाले लोगों में तनाव, अवसाद, हृदय रोग और मोटापे से ग्रस्त होने की संभावना अधिक थी। जो लोग बहुत ज़्यादा सोते हैं, उन्हें कोलेस्ट्रॉल की समस्या, शरीर में सूजन और याददाश्त कमज़ोर होने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

कम नींद लेने के नुकसान

जो लोग 7 घंटे से कम सोते हैं, उन्हें मूड स्विंग, थकान और हृदय रोग हो सकते हैं। इन लोगों की मांसपेशियां और हड्डियां भी कमज़ोर हो जाती हैं। कम सोने वाले लोगों में भावनात्मक समस्याएं भी बढ़ जाती हैं।

नींद की कमी से मस्तिष्क के कार्य में भी समस्या आती है। रात में कम नींद लेने वाले लोगों को मधुमेह और कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

अच्छी नींद के लिए क्या करें?

रोज़ाना एक ही समय पर सोने और उठने की आदत डालें। सोने से लगभग 1 घंटा पहले टीवी और मोबाइल जैसी चीज़ों से दूर रहें। आरामदायक नींद के लिए अपने बेडरूम को शांत और अंधेरा रखें। रात का खाना हल्का रखें। कैफीन और अल्कोहल का सेवन कम करें।

अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।

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