अनुलोम विलोम शरीर के लिए एक वरदान है। यह योग शारीरिक और मानसिक समस्याओं को दूर करता है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अनुसार, अनुलोम विलोम अत्यंत लाभकारी है। यह मन को शांत करता है और चिंता को कम करने में मदद करता है।
इस प्राणायाम को करने से एकाग्रता बढ़ती है। इस योग का अभ्यास करने के लिए शांत श्वास और लेटकर व्यायाम करने की आवश्यकता होती है। अनुलोम विलोम एक प्राचीन योगिक तकनीक है। इसे नालिशोधन प्राणायाम भी कहा जाता है। इसमें बाएँ और दाएँ नासिका छिद्रों से एक साथ श्वास लेना और छोड़ना होता है।
अब आँखें बंद कर लें और दाहिनी नासिका से साँस लें और बाईं नासिका से साँस छोड़ें। इस प्रक्रिया के दौरान उंगलियों की मदद से नासिका छिद्रों को खोला और बंद किया जाता है।
अनुलोम विलोम करने के लाभ
1. अनुलोम विलोम प्राणायाम तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और चिंता को दूर करता है। प्रतिदिन पाँच से दस मिनट का ध्यान भी मस्तिष्क को शांत रखता है और एकाग्रता व स्मरण शक्ति में सुधार करता है।
2. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, यदि प्रतिदिन पाँच मिनट तक किया जाए, तो रक्तचाप नियंत्रित रहता है, चेहरे पर चमक आती है और रात में नींद भी अच्छी आती है।
3. अगर अनुलोम विलोम नियमित रूप से पाँच मिनट भी किया जाए, तो शरीर में ऊर्जा बढ़ती है और फेफड़े स्वस्थ बनते हैं।
4. अनुलोम विलोम एक सरल और प्रभावी प्राणायाम है। इसे रोज़ाना करने से शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है और मन को शांति मिलती है।
नुलोम विलोम कौन नहीं करता?
हालांकि अनुलोम विलोम प्राणायाम बेहद फायदेमंद है, फिर भी कुछ लोगों को इसे करने से बचना चाहिए। जैसे गर्भवती महिलाओं, हृदय रोगियों और उच्च रक्तचाप वाले लोगों को किसी योग विशेषज्ञ से सलाह लेने के बाद ही यह योग करना चाहिए।
खाने के तुरंत बाद भी यह योग न करें। अगर कुछ खाया या पिया है, तो तीन से चार घंटे के अंतराल के बाद अनुलोम विलोम करना चाहिए।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।