गुजरात शिक्षा बोर्ड ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को एक परिपत्र जारी कर स्कूलों में शुगर बोर्ड स्थापित करने का निर्देश दिया है ताकि बच्चों में चीनी के सेवन पर नज़र रखी जा सके और उसे कम किया जा सके। इसके अनुसार, सभी स्कूलों में बच्चों को विभिन्न खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में चीनी की मात्रा के बारे में जानकारी दी जाएगी।
DEO परिपत्र
शिक्षा बोर्ड के अनुसार, बच्चों में टाइप-2 मधुमेह का प्रसार बढ़ रहा है। अत्यधिक चीनी के सेवन से एक चिंताजनक स्थिति उत्पन्न हो गई है। इसलिए चीनी के अत्यधिक सेवन को कम करने, बच्चों में दंत समस्याओं और चयापचय संबंधी विकारों को कम करने के लिए, स्कूलों में शुगर बोर्ड स्थापित किए जाने चाहिए।
शुगर बोर्ड लगाना होगा
प्रत्येक स्कूल में उपयुक्त स्थान पर एक शुगर बोर्ड लगाया जाना चाहिए। जिसमें छात्रों को अत्यधिक चीनी के सेवन के खतरों के बारे में बताया जाए।
बोर्ड को दैनिक चीनी सेवन, आमतौर पर खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों में चीनी की मात्रा, अधिक चीनी से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरों आदि की जानकारी देनी होगी। प्रत्येक स्कूल को इस मुद्दे पर सेमिनार-कार्यशालाएँ भी आयोजित करनी होंगी।
शिक्षा बोर्ड ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को एक परिपत्र के माध्यम से स्कूलों में इन दिशानिर्देशों को लागू करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि सीबीएसई स्कूलों को भी मई में ही इसके लिए सूचित कर दिया गया था।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।