गठिया एक जोड़ों की बीमारी है जो लाखों लोगों को प्रभावित करती है। यह बीमारी लाइलाज है। लेकिन जल्दी निदान से इसका प्रबंधन आसान हो सकता है। ड्यूक विश्वविद्यालय के एक शोध में पाया गया है कि गठिया के लक्षण होने से तीन साल पहले ही शुरू हो जाते हैं।
इस शोध में 200 महिलाओं को शामिल किया गया था। जिन महिलाओं को गठिया बाद में हुआ, उनमें हड्डियों में बदलाव 8 साल पहले ही दिखाई देने लगे।
गठिया के 3 साल से पहले दिखने वाले लक्षण
क्या आपको खड़े या बैठते समय घुटनों या जोड़ों में दर्द होता है? तो सावधान हो जाइए। ये गठिया के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में अगर जोड़ों का दर्द बहुत आम हो गया है, तो इसे नज़रअंदाज़ करने की भूल आपको गठिया का मरीज बना सकती है।
लाखों लोग गठिया से पीड़ित हैं।
गौरतलब है कि गठिया भारत में दूसरी सबसे आम बीमारी है। वहीं, अमेरिका में हर चौथा व्यक्ति इस बीमारी का शिकार है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में 6.35 करोड़ लोग गठिया से पीड़ित हैं। 1990 में यह संख्या 2.5 करोड़ थी। दुनिया भर में गठिया के रोगियों की संख्या 50 करोड़ से ज़्यादा है।
गाउट के लिए ज़िम्मेदार कारक
गठिया के रोगियों की बढ़ती संख्या के पीछे खराब जीवनशैली, मोटापा और बढ़ती चोटें मुख्य कारण माने जाते हैं। आपको बता दें कि यह बीमारी आनुवंशिक।
घुटने के गठिया के सबसे ज़्यादा मरीज़
दुनिया भर में गठिया का सबसे आम प्रकार घुटने का गठिया है। इस वजह से, घुटने के प्रतिस्थापन सर्जरी में भी वृद्धि हुई है। गठिया के 100 से ज़्यादा प्रकार हैं। इनमें से सबसे आम ऑस्टियोआर्थराइटिस है।
यह समस्या महिलाओं में सबसे आम है।
इस बीमारी से पीड़ित 73% लोग 55 वर्ष से अधिक आयु के हैं और उनमें से 60% महिलाएं हैं। दुनिया भर में लगभग 365 मिलियन ऑस्टियोआर्थराइटिस के मरीज़ हैं।
ऐसे में, यह शोध गठिया के ख़िलाफ़ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस शोध से गठिया के शुरुआती निदान और रोकथाम के नए तरीके विकसित होंगे।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।
