गिलोय एक प्रकार की लता है जिसके पत्ते पान के पत्तों जैसे होते हैं। यह इतना गुणकारी है कि इसे अमृता नाम दिया गया है। आयुर्वेद में गिलोय को ज्वर की उत्तम औषधि माना गया है।
गिलोय का रस पीने से शरीर के विभिन्न रोग दूर होते हैं। गिलोय के पत्तों में कैल्शियम, प्रोटीन और फास्फोरस पाया जाता है। यह वात, कफ और पित्त का नाश करता है। यह हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
गिलोय एक बहुत ही महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है।
गिलोय एक ऐसी लता है जो बहुत जल्दी बढ़ती और खिलती है। गिलोय की शाखाओं का उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है। गिलोय की बेल में भरपूर ऊर्जा होती है, क्योंकि अगर इस बेल का एक छोटा सा टुकड़ा भी ज़मीन में रोप दिया जाए, तो वहाँ एक नया पौधा उग आता है।
गिलोय की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने पर पता चला है कि इसमें गिलोय नामक एक कड़वा ग्लूकोसाइड, फैटी अल्कोहल ग्लिसरॉल, बर्बेरिन एल्कलॉइड, कई प्रकार के फैटी एसिड और वाष्पशील तेल पाए जाते हैं।
इसके पत्तों में कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस और तने में स्टार्च भी पाया जाता है। कई परीक्षणों से पता चला है कि गिलोय का वायरस पर घातक प्रभाव पड़ता है। इसमें सोडियम सैलिसिलेट की उपस्थिति के कारण, दर्द निवारक गुण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
यह तपेदिक के जीवाणुओं की वृद्धि को रोकता है। यह ग्लूकोज को पचाने और इंसुलिन उत्पादन को बढ़ाकर संक्रमण को रोकने का काम करता है।
गिलोय के शारीरिक लाभ:
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है – गिलोय में हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण गुण है। गिलोय में कई एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं और कई तरह की खतरनाक बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं।
गिलोय हमारे लीवर और किडनी में पाए जाने वाले रासायनिक विषाक्त पदार्थों को खत्म करने का भी काम करता है। गिलोय हमारे शरीर में रोग पैदा करने वाले कीटाणुओं से लड़कर लीवर और मूत्र मार्ग के संक्रमण जैसी समस्याओं से हमारे शरीर की रक्षा करता है।
बुखार से लड़ने की बेहतरीन औषधि – गिलोय लंबे समय तक चलने वाले बुखार को ठीक करने में बहुत फायदेमंद है।
गिलोय में ज्वर-रोधी गुण होते हैं। गिलोय हमारे शरीर में घातक बीमारियों के लक्षणों को रोकने में बहुत मददगार है। यह हमारे शरीर में रक्त प्लेटलेट्स की मात्रा बढ़ाता है जो किसी भी प्रकार के बुखार से लड़ने में मददगार साबित होता है। गिलोय का रस डेंगू जैसे बुखार में भी बहुत उपयोगी है।
यदि रोगी को गिलोय का रस और शहद बराबर मात्रा में दिया जाए, तो यह मलेरिया के इलाज में बहुत सफलतापूर्वक मदद करता है।
पाचन – गिलोय के कारण शरीर का पाचन तंत्र भी संतुलित रहता है। गिलोय विभिन्न प्रकार की पेट संबंधी समस्याओं को दूर करने में बहुत लोकप्रिय है। हमारे पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के लिए, एक ग्राम गिलोय चूर्ण को थोड़े से आंवले के चूर्ण के साथ नियमित रूप से लेने से बहुत लाभ होता है।
गिलोय बवासीर का भी रामबाण इलाज है – बवासीर के रोगी को गिलोय का रस छाछ में मिलाकर पिलाने से रोगी का दर्द कम होने लगता है।
मधुमेह का उपचार – यदि आपका रक्त शर्करा स्तर उच्च है, तो नियमित रूप से गिलोय का रस पीने से इस स्तर को भी कम करने में मदद मिलेगी।
उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करें – गिलोय हमारे शरीर में रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
अस्थमा का अनोखा उपचार – अस्थमा एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है, जिसके कारण रोगी को सीने में जकड़न, सांस लेने में तकलीफ, अत्यधिक खांसी और तेज़ साँस लेने जैसी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कभी-कभी ऐसी स्थिति को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अस्थमा के उपरोक्त लक्षणों से छुटकारा पाने का सबसे आसान तरीका गिलोय का सेवन है। जी हाँ, गिलोय का व्यापक रूप से इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। अस्थमा के रोगियों के लिए, यह अस्थमा की समस्या से भी छुटकारा पाने में मदद करता है।
आँखों की रोशनी बढ़ाने के लिए – गिलोय का उपयोग हमारी आँखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी किया जाता है। यह हमारी आँखों की रोशनी को बेहतर बनाता है, जिससे हम बिना चश्मा पहने भी अच्छी तरह देख सकते हैं। अगर आप गिलोय के कुछ पत्तों को पानी में उबालकर ठंडा होने के बाद इस पानी को नियमित रूप से पलकों पर लगाते हैं, तो यह बहुत फायदेमंद होता है।
यह सुंदरता के लिए भी कारगर है – गिलोय के इस्तेमाल से हमारे चेहरे के काले धब्बे, मुंहासे और झुर्रियाँ कम होती हैं। यह चेहरे की झुर्रियों को कम करने में भी मदद करता है। यह हमारी त्वचा को जवां बनाए रखने में मदद करता है। गिलोय हमारी त्वचा के स्वास्थ्य और सुंदरता को बनाए रखता है।
यह रक्त संबंधी समस्याओं को भी दूर करता है – बहुत से लोग एनीमिया से ग्रस्त होते हैं। जिसके कारण वे शारीरिक रूप से कमजोर महसूस करने लगते हैं। गिलोय के नियमित सेवन से शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ती है, और गिलोय हमारे खून को साफ करने में भी बहुत फायदेमंद है।
दंत-शोधन: गिलोय और बबूल की फली को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें और नियमित रूप से सुबह-शाम अपने दाँतों को ब्रश करें, इससे आराम मिलेगा।
कुष्ठ (खूनी पित्त): 10-10 ग्राम गिलोय को उबालकर काढ़ा बना लें। मुलेठी, गिलोय और किशमिश को 500 मिलीलीटर पानी में उबालें। इस काढ़े को दिन में 2-3 बार पीने से कुष्ठ रोग में आराम मिलता है।
खुजली: गिलोय के पत्तों के रस में हल्दी पीसकर खुजली वाले अंगों पर लगाएँ और 3 चम्मच गिलोय के रस में 1 चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से खुजली पूरी तरह दूर हो जाती है।
मोटापा: नागरमोथा, हरड़ और गिलोय को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1-1 चम्मच शहद के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से मोटापा दूर होता है। हरड़, बेहड़ा, गिलोय और आंवले के काढ़े में पकाकर शुद्ध शिलाजीत खाने से मोटापा दूर होता है। 3 ग्राम गिलोय और 3 ग्राम त्रिफला चूर्ण को शहद के साथ सुबह-शाम चाटने से मोटापा कम होता है।
हिचकी: अदरक और गिलोय के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर उसकी सुगंध से हिचकी बंद हो जाती है।
सभी प्रकार के बुखार के लिए: सोंठ, धनिया, गिलोय, चिरायता और चीनी को बराबर मात्रा में मिला लें। चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1 चम्मच दिन में 3 बार लेने से सभी प्रकार के बुखार में आराम मिलता है।
कान का मैल साफ़ करने के लिए: गिलोय को पानी में पीसकर गर्म करें और दिन में दो बार कान में 2 बूँदें डालने से कान का मैल निकल जाता है और कान साफ़ हो जाता है।
कान का दर्द: गिलोय के पत्तों का रस गर्म करके इस रस को कान में बूंद-बूंद करके डालने से कान का दर्द दूर होता है।
पेचिश: मैदा, सोंठ, मोथा और गिलोय को बराबर मात्रा में लेकर पानी में मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को 20-30 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से भूख न लगना, लगातार कब्ज और बलगम के साथ दस्त जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।
कब्ज: 2 चम्मच गिलोय के चूर्ण को गुड़ के साथ सेवन करने से कब्ज दूर होती है।
एसिडिटी: गिलोय के रस का सेवन करने से एसिडिटी से होने वाले कई रोग जैसे पेचिश, पीलिया, मूत्र विकार (मूत्र रोग) और नेत्र विकार (आंखों के रोग) ठीक हो जाते हैं। गिलोय, नीम के पत्ते और करेले के पत्तों को पीसकर शहद के साथ पीने से एसिडिटी से राहत मिलती है।
एनीमिया: गिलोय का रस शरीर में पहुंचकर खून बढ़ाता है जिससे एनीमिया दूर होता है।
हृदय की कमजोरी: गिलोय का रस पीने से हृदय की कमजोरी दूर होती है। इस प्रकार, हृदय को शक्ति प्रदान करके हृदय से संबंधित विभिन्न प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।
हृदय-पीड़ा: गिलोय और काली मिर्च का चूर्ण 10-10 ग्राम की मात्रा में मिलाकर 3 ग्राम गर्म पानी में मिलाकर सेवन करने से हृदय-पीड़ा में आराम मिलता है।
बवासीर, कुष्ठ और पीलिया: गिलोय के तने के ताजे रस को 7 से 14 मिलीलीटर शहद के साथ दिन में दो बार सेवन करने से बवासीर, कुष्ठ और पीलिया ठीक हो जाता है।
बवासीर: गिलोय का एक चम्मच चूर्ण सुबह-शाम छाछ (शश, तकर) के साथ लेने से बवासीर में आराम मिलता है।
20 ग्राम हरड़, गिलोय, धनिया को मिलाकर 5 किलो पानी में उबालें। जब एक चौथाई पानी शेष रह जाए, तो उसमें गुड़ डालकर मिलाएँ। फिर सुबह-शाम सेवन करें। इससे सभी प्रकार की बवासीर ठीक हो जाती है।
पेशाब करने में कठिनाई (पेशाब करते समय दर्द या जलन): गिलोय का रस गुर्दे की क्रियाशीलता को तेज करता है और पेशाब की मात्रा बढ़ाकर उसकी रुकावट को दूर करता है। गिलोय का रस वात विकार के कारण होने वाले मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) में भी लाभकारी है।
अत्यार्तव: गिलोय का रस अत्यार्तव में बहुत लाभकारी है।
चेहरे के दाग-धब्बे: गिलोय की बेल के फलों को पीसकर चेहरे पर लगाने से मुंहासे, फुंसियाँ और झाइयाँ दूर होती हैं।
सफेद दाग: सफेद दाग की बीमारी में, 10 से 20 मिलीलीटर गिलोय का रस सफेद दाग पर दिन में 2-3 बार कुछ महीनों तक लगाने से लाभ होता है।
पेट के रोग: 18 ग्राम ताजी गिलोय, 2 ग्राम सिंगापूर के पत्ते और छोटी पीपल, 2 नीम की डंडियों को मिट्टी के बर्तन में 250 मिलीलीटर पानी के साथ रात भर फूलने के लिए पीस लें। सुबह इसे छानकर रोगी को 15 से 30 दिनों तक प्रतिदिन पिलाएँ। इससे पेट के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
गठिया: 2-4 ग्राम गिलोय का चूर्ण दिन में 2-3 बार दूध के साथ लेने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।
वात ज्वर: गंभीरी की छाल, बिल्व, अरणी, श्योनाक (सोनापाठा) और पाढ़ल की जड़, गिलोय, आंवला, धनिया को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े की 20-30 ग्राम मात्रा दिन में दो बार सेवन करने से वात ज्वर ठीक हो जाता है।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।