हम सभी ने समय-समय पर शरीर के किसी न किसी हिस्से में हल्का दर्द महसूस किया है, लेकिन अगर हड्डियों और जोड़ों में दर्द लगातार बना रहे, तो इसे नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है। यह सिर्फ़ थकान या उम्र का असर नहीं है, बल्कि किसी गंभीर बीमारी का लक्षण भी हो सकता है।
आइए किसी हड्डी रोग विशेषज्ञ से जानें कि इस तरह के दर्द के क्या कारण हो सकते हैं, यह किन बीमारियों का संकेत हो सकता है और सही निदान के लिए कौन से परीक्षण ज़रूरी हैं। अगर आपको घुटनों, कमर, पीठ, कंधों या हाथ-पैरों के जोड़ों में बार-बार दर्द होता है, जिससे चलने या सीढ़ियाँ चढ़ने में दिक्कत होती है, तो यह सामान्य दर्द नहीं है।
गठिया
गठिया एक आम बीमारी है जो हड्डियों के जोड़ों में सूजन और दर्द का कारण बनती है। इनमें ऑस्टियोआर्थराइटिस (बुजुर्गों में आम), रुमेटॉइड आर्थराइटिस (प्रतिरक्षा संबंधी एक बीमारी) शामिल हैं। इसका मुख्य लक्षण सुबह उठने पर जोड़ों में अकड़न है।
ऑस्टियोपोरोसिस
इसमें हड्डियाँ कमज़ोर हो जाती हैं और आसानी से टूट जाती हैं। यह बीमारी महिलाओं में ज़्यादा आम है, खासकर 40 साल की उम्र के बाद। लगातार पीठ या कमर दर्द इसका संकेत हो सकता है।
ल्यूपस
यह एक स्व-प्रतिरक्षी रोग है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करती है। जोड़ों के अलावा, त्वचा, गुर्दे और हृदय भी प्रभावित हो सकते हैं।
यूरिक एसिड का बढ़ना
अगर पैर की उंगलियों, टखनों या घुटनों में अचानक तेज दर्द या सूजन हो, तो यह यूरिक एसिड बढ़ने का संकेत हो सकता है। यह भी एक गंभीर जोड़ों का रोग है।
कौन से परीक्षण आवश्यक हैं?
अगर जोड़ों या हड्डियों में लगातार दर्द हो रहा है, तो डॉक्टर से सलाह लेना और कुछ ज़रूरी जाँचें करवाना ज़रूरी है। जैसे रक्त परीक्षण (सीबीसी, ईएसआर, सीआरपी)। इससे शरीर में सूजन, संक्रमण या प्रतिरक्षा प्रणाली संबंधी विकारों का पता चलता है। आरए फैक्टर और एएनए परीक्षण – इस परीक्षण का उपयोग रूमेटाइड आर्थराइटिस और ल्यूपस जैसी बीमारियों का पता लगाने के लिए किया जाता है।
विटामिन डी और कैल्शियम परीक्षण – हड्डियों की मजबूती की स्थिति जानने के लिए।
डेक्सा स्कैन – हड्डियों के घनत्व की जाँच के लिए, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का पता चलता है।
एक्स-रे/एमआरआई – हड्डियों और जोड़ों की स्थिति पर बारीकी से नज़र रखने के लिए।
डॉक्टर क्या कहते हैं?
हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. आंचल उप्पल कहती हैं कि अगर दर्द तीन हफ़्ते से ज़्यादा समय तक बना रहे, तो घरेलू नुस्खों से इसे ठीक करने की कोशिश न करें। तुरंत किसी हड्डी रोग विशेषज्ञ से सलाह लें और उचित जाँच करवाएँ। अगर बीमारी का समय पर पता चल जाए, तो इलाज आसान हो जाता है।
जीवनशैली और आहार में बदलाव
इसके अलावा, डॉ. उप्पल का कहना है कि अगर आप अपने आहार और जीवनशैली में सुधार करें, तो इस बीमारी को काफी हद तक रोका जा सकता है। उदाहरण के लिए, अपने आहार में विटामिन डी, कैल्शियम और ओमेगा-3 फैटी एसिड शामिल करें।
जोड़ों की गतिशीलता बनाए रखने के लिए रोज़ाना हल्का व्यायाम या योग करें। वज़न को नियंत्रण में रखें क्योंकि ज़्यादा वज़न घुटने पर ज़्यादा दबाव डालता है। लंबे समय तक एक ही स्थिति में न बैठें या खड़े न रहें।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।