मानसून में क्यों बढ़ जाता है जोड़ों का दर्द? हड्डी विशेषज्ञों से जानें कारण और राहत…

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स्वास्थ्य देखभाल: मानसून का मौसम ताज़गी, ठंडक और हरियाली लेकर आता है, लेकिन साथ ही कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ भी लेकर आता है। मानसून में जोड़ों का दर्द काफ़ी बढ़ जाता है – ख़ासकर बुज़ुर्गों, गठिया के मरीज़ों, जिनकी हड्डियों में चोट लगी हो या जिनकी पहले सर्जरी हुई हो।

क्या मानसून में सुबह उठते ही आपके घुटने अकड़ जाते हैं? क्या आपको पीठ या कमर के निचले हिस्से में ज़्यादा सूजन और दर्द महसूस होता है? तो जानिए, इसका वैज्ञानिक कारण क्या है और इसका आसान उपाय क्या हो सकता है?

डॉक्टर क्या कहते हैं? हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. नितिन वर्मा (मैक्स हॉस्पिटल) बताते हैं कि मानसून में वायुमंडलीय दाब (बैरोमेट्रिक प्रेशर) कम हो जाता है, जिससे शरीर के अंदर तरल और गैसीय तत्वों का दबाव बढ़ जाता है।

इस स्थिति में, जोड़ों के आसपास के ऊतक सूज जाते हैं और दर्द व अकड़न पैदा करते हैं। यह प्रभाव विशेष रूप से घुटनों, पीठ और हाथ-पैरों के जोड़ों में देखा जाता है।
मानसून में दर्द के मुख्य कारण:
  • तापमान में कमी और आर्द्रता में वृद्धि
  • हड्डियों के आसपास के ऊतकों में सूजन
  • मांसपेशियों और स्नायुबंधों में कसाव
  • एक ही जगह पर बहुत देर तक बैठे रहना
  • शारीरिक गतिविधियों में कमी
जोड़ों के दर्द से राहत पाने के प्रभावी उपाय: शरीर को गर्म रखें: गर्म कपड़े पहनें, गर्म पानी से सिकाई करें। तेल मालिश: सरसों या नारियल के तेल से नियमित रूप से मालिश करें। हल्के व्यायाम करें: योग, हल्की स्ट्रेचिंग, पैदल चलना या साइकिल चलाना। पौष्टिक आहार लें: कैल्शियम, विटामिन डी और ओमेगा-3 से भरपूर खाद्य पदार्थ – जैसे दूध, दही, मेवे, अलसी के बीज, हरी सब्जियाँ, मछली का तेल। हल्के व्यायाम: एक ही जगह पर ज़्यादा देर तक न बैठें, अपने हाथ-पैर हिलाते रहें।
डॉक्टर से संपर्क करें: अगर दर्द बना रहे, तो किसी हड्डी रोग विशेषज्ञ से सलाह लें। मानसून भले ही मौसम की खुशियाँ लेकर आता हो, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह स्वास्थ्य के लिए एक समस्या बन जाता है। अगर समय रहते उचित देखभाल की जाए, तो जोड़ों के दर्द से भी बचा जा सकता है। जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव करके इससे राहत पाना संभव है।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा का विकल्प नहीं है। सलाह, निदान या उपचार। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।
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