देश में पहली बार किसी इंसान में यांत्रिक हृदय धड़क रहा है। एक महिला मरीज़ को यांत्रिक हृदय प्रत्यारोपण से नई ज़िंदगी मिली है। दिल्ली कैंट स्थित आर्मी अस्पताल ने पहली बार लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस (LVAD) प्रत्यारोपित करके इतिहास रच दिया है।
यह प्रक्रिया (हार्टमेट-3) हार्टमेट 3 डिवाइस का इस्तेमाल करके की जाती है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यह उपकरण अंतिम चरण के हृदय गति रुकने से जूझ रहे मरीज़ों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
महिला मरीज़ में यांत्रिक हृदय प्रत्यारोपण
यह यांत्रिक हृदय एक 49 वर्षीय महिला मरीज़ में प्रत्यारोपित किया गया, जो एक पूर्व सैनिक की पत्नी हैं। वह पिछले दो सालों से हृदय प्रत्यारोपण का इंतज़ार कर रही थीं। उनकी हालत धीरे-धीरे बिगड़ती जा रही थी। जिसके बाद LVAD यानी ‘मैकेनिकल हार्ट’ प्रत्यारोपित करने का फ़ैसला लिया गया।
मानव में यांत्रिक हृदय कैसे काम करेगा?
विशेषज्ञों का कहना है कि महिला मरीज़ के बाएँ निलय ने रक्त पंप करना लगभग बंद कर दिया था। जिसके बाद उसकी जान बचाने का एकमात्र विकल्प हृदय प्रत्यारोपण था।
हार्टमेट की मदद से रक्त पंपिंग को एक बार फिर बेहतर बनाया जा सकता है। अस्पताल ने मरीज़ की जान बचाने के लिए ऐसा करने का फैसला किया। इसके लगने के बाद, महिला को हृदय प्रत्यारोपण की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि यह लंबे समय तक काम करेगा और उसे स्वस्थ रखेगा।
अब मरीज़ कैसी है?
यांत्रिक हृदय प्रतिस्थापन के बाद अब महिला मरीज़ की हालत स्थिर है। वह फ़िलहाल डॉक्टरों की देखरेख में है और तेज़ी से ठीक हो रही है।
यह सफलता आर्मी हॉस्पिटल (आर एंड आर) की उच्च-गुणवत्ता वाली चिकित्सा टीम के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इससे भविष्य में हृदय के इलाज के कई विकल्प सामने आ सकते हैं।
क्या दुनिया में यांत्रिक हृदय पहले से ही प्रत्यारोपित किए जा रहे हैं?
भारत में पहली बार यांत्रिक हृदय का मामला सामने आया है। हालाँकि, दुनिया में इस तरह के प्रयोग पहले भी हो चुके हैं। अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में इस उपकरण का इस्तेमाल किया जा रहा है।
दुनिया भर में 18 हज़ार से ज़्यादा लोगों में ये उपकरण प्रत्यारोपित किए जा चुके हैं और वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। यह मशीन उन सभी में अच्छी तरह काम कर रही है।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।
