फेफड़ों का कैंसर: फेफड़ों के कैंसर को दुनिया की सबसे घातक बीमारियों में से एक माना जाता है। यह बीमारी अक्सर तब सामने आती है जब इसका इलाज मुश्किल हो जाता है।
खांसी और खून आना इसके लक्षण हैं।
फेफड़ों के कैंसर का एक आम शुरुआती लक्षण लगातार खांसी है। अगर खांसी एक या दो हफ़्ते से ज़्यादा समय तक बनी रहे, तो इसे हल्के में न लें। वहीं, खून की खांसी भी कैंसर की चेतावनी हो सकती है।
सांस फूलना और सीने में दर्द
रोज़मर्रा के कामों के दौरान अचानक सांस फूलना और गहरी साँस लेते समय सीने में दर्द भी कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। यह फेफड़ों में हवा के प्रवाह में रुकावट के कारण होता है।
भूख न लगना और वज़न कम होना
कई मरीज़ों में, जैसे-जैसे कैंसर बढ़ता है, भूख कम हो जाती है और बिना किसी प्रयास के ही वज़न तेज़ी से कम होने लगता है। यह भी इस बीमारी का एक महत्वपूर्ण लक्षण है।
थकान और बार-बार संक्रमण
कैंसर के कारण होने वाली थकान सामान्य थकान से अलग होती है और आराम करने के बाद भी दूर नहीं होती। इसके अलावा, ब्रोंकाइटिस या निमोनिया जैसी बार-बार होने वाली श्वसन संबंधी बीमारियाँ भी एक चेतावनी संकेत हो सकती हैं।
चेहरे और गर्दन में सूजन
कुछ मामलों में, मरीज के चेहरे और गर्दन में सूजन आ सकती है। ऐसा नसों पर बढ़ते दबाव के कारण होता है। यह भी संभव है कि आवाज कर्कश या भारी हो जाए।
किसे ज़्यादा खतरा है?
जो लोग धूम्रपान करते हैं या लंबे समय तक दूसरों के धुएँ के संपर्क में रहते हैं, उन्हें ज़्यादा खतरा होता है। इसके अलावा, जिन लोगों के परिवार में फेफड़ों के कैंसर का इतिहास रहा है, उन्हें भी इस बीमारी का खतरा ज़्यादा होता है। 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों, खासकर जो लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहते हैं, को भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
-समय पर जाँच ज़रूरी है
विशेषज्ञों का मानना है कि शरीर के इन संकेतों को नज़रअंदाज़ करना खतरनाक साबित हो सकता है। फेफड़ों के कैंसर से बचाव के सबसे आम तरीके हैं, समय पर पहचान और उचित उपचार।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।
