सिर्फ 6 दिन तक रात में 1 लौंग खाने से मिलेंगे ऐसे फायदे कि हैरान रह जाएंगे आप…

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लौंग में यूजेनॉल होता है जो साइनस और दांत दर्द जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करता है। लौंग की तासीर गर्म होती है। इसलिए सर्दी-जुकाम होने पर लौंग खाना या इसकी चाय बनाना फायदेमंद होता है।

अगर आप लौंग के तेल का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो इसे नारियल के तेल में मिलाएँ ताकि इसका गर्म प्रभाव आपके स्वास्थ्य को नुकसान न पहुँचाए। लौंग जीवन शक्ति कोशिकाओं को पोषण देती है।

इसीलिए लौंग टीबी और बुखार में एंटीबायोटिक का काम करती है। यह रक्त शोधक और कीटाणुनाशक है। लौंग में मुँह, मुँह और पेट में सड़न और कीटाणुओं को रोकने का गुण होता है।

आयुर्वेदिक चिकित्सा में, लौंग जीवाणुरोधी, एंटीसेप्टिक और दर्द निवारक के रूप में कार्य करती है। लौंग फैटी एसिड, फाइबर, विटामिन, ओमेगा-3 और खनिजों का एक अच्छा स्रोत है और हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बढ़ावा देती है। आपको इसके फायदे 6 दिनों में महसूस होने लगेंगे। रात को सोने से पहले लौंग खाने के फायदे निम्नलिखित हैं।

असली लौंग की पहचान

दुकानदार अपनी बेची जाने वाली लौंग में तेल लगी लौंग मिला देते हैं। अगर लौंग पर सिलवटें हों, तो इसका मतलब है कि वह तेल लगी हुई लौंग है। इसे न खरीदें। लौंग से कई प्राकृतिक औषधियाँ बनाई जाती हैं। आज हम आपको बताएंगे कि लौंग कितनी कमाल की होती है, आइए जानते हैं लौंग के फायदों के बारे में।

रात में लौंग खाने के 7 फायदे

सांस के संक्रमण से छुटकारा: लौंग एक प्राकृतिक दर्द निवारक है और कीटाणुओं से भी बचाती है। लौंग गले की खराश से राहत दिलाने में मदद करती है।

पाचन क्रिया में सुधार: लौंग उल्टी, दस्त, आंतों की गैस और पेट दर्द को कम करने में मदद करती है। सावधान रहें क्योंकि लौंग बहुत तीखी होती है, इसका अधिक सेवन आपको परेशान कर सकता है।

पेट की गैस: 2 लौंग पीसकर आधा कप उबलते पानी में डालें। फिर ठंडा होने पर पी लें। इस प्रयोग को दिन में 3 बार करने से पेट की गैस से राहत मिलेगी।

मतली: 2 लौंग को पानी में मिलाएँ। आधा कप पानी में थोड़ा सा पानी मिलाकर गुनगुना पिएँ, इससे मतली दूर होगी। लौंग चबाने से भी मतली दूर होती है।

दांत दर्द से राहत: आप रुई की मदद से दर्द वाले दांत या मसूड़ों पर थोड़ा सा लौंग का तेल लगाकर दर्द से राहत पा सकते हैं। इसके अलावा, यह संक्रमण को भी कम करेगा।

सूजन कम करें: सूजन के दर्द के लिए लौंग के तेल का इस्तेमाल करें, इससे आपको तुरंत आराम मिलेगा।

घाव का इलाज: लौंग बहुत तेज़ होती है, घाव भरने के लिए, जैतून के तेल में थोड़ा सा लौंग का तेल मिलाकर घाव पर लगाएँ, इससे घाव भरने में मदद मिलेगी।

लविंग के 12 अन्य बेहतरीन फायदे

पाचन समस्या: लौंग 10 ग्राम, सोंठ 10 ग्राम, काली मिर्च 10 ग्राम, पीपल 10 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम, इन्हें अच्छी तरह पीसकर एक ग्राम सेंधा नमक मिलाएँ। इस मिश्रण को स्टील के बर्तन में रखें और ऊपर से नींबू का रस डालें। जब यह सख्त हो जाए तो इसे छाया में सुखा लें और 5-5 ग्राम सुबह-शाम भोजन के बाद पानी के साथ लें।

चक्कर आना: सबसे पहले दो लौंग लें और इन लौंगों को दो कप पानी में उबालें, फिर इस पानी को ठंडा करके चक्कर आने वाले रोगी को पिलाने से चक्कर आना बंद हो जाता है।

गठिया: 5 ग्राम लौंग, भुना हुआ सुहागा, एलुवा और काली मिर्च को पीसकर मेथी के रस में मिलाकर चने के आकार की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। फिर सुबह-शाम एक-एक गोली लें। गठिया रोग ठीक करता है।

कब्ज: लौंग 10 ग्राम, काली मिर्च 10 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम, लाहौरी नमक 50 ग्राम और चीनी 50 ग्राम को पीसकर नींबू के रस में मिलाएँ। सूखने पर भोजन के बाद 5-5 ग्राम गर्म पानी के साथ लेने से लाभ होता है।

कमर दर्द: कमर दर्द के अलावा, लौंग के तेल से मालिश करने से शरीर के अन्य हिस्सों के दर्द में भी आराम मिलता है। नहाने से पहले इसके तेल की मालिश करनी चाहिए।

साइटिका: लौंग के तेल से पैरों की मालिश करने से साइटिका का दर्द दूर होता है।

टॉन्सिलाइटिस: एक गिलास पानी में एक सुपारी, 2 लौंग, आधा चम्मच मुलेठी, 4 पुदीने के बीज मिलाकर काढ़ा पिएँ।

दांत दर्द: 3 लौंग को पीसकर 5 ग्राम नींबू के रस में मिलाएँ। इसे दांतों पर मलें और खोखलों में लगाएँ। इससे दांत दर्द में आराम मिलता है।

दमा या सांस की बीमारी: दो लौंग को 150 मिलीलीटर पानी में उबालें और इस पानी को छोटी-छोटी मात्रा में पिएँ। अस्थमा और सांस की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए पर्याप्त मात्रा में।

दांत के कीड़े: लौंग के तेल में भिगोई हुई रुई की गेंद को कीड़े लगे दांत की गुहा में रखें। यह दांतों की सड़न को नष्ट करता है और दर्द को कम करता है।

अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।

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