मधुमेह की एक आम दवा, एम्पाग्लिफ्लोज़िन, की कीमत में काफ़ी कमी आई है। इसकी कीमत पहले की तुलना में लगभग दसवें हिस्से तक कम हो गई है। यह बदलाव तब देखा गया जब कई कंपनियों ने इस दवा के जेनेरिक संस्करण बाज़ार में उतारे।
एम्पाग्लिफ्लोज़िन को जर्मन दवा कंपनी बोह्रिंजर इंगेलहाइम (BI) ने विकसित किया है और इसे जार्डिएंस ब्रांड नाम से बेचा जाता है। यह एक मौखिक दवा है जो टाइप 2 मधुमेह रोगियों में रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करती है।
एक गोली कितने रुपये में मिलती थी?
पहले इस दवा की एक गोली लगभग 60 रुपये में मिलती थी, लेकिन अब इसकी कीमत घटकर मात्र 5.5 रुपये रह गई है। यह कमी तब संभव हुई जब मैनकाइंड, अल्केम और ग्लेनमार्क जैसी कंपनियों ने इसका जेनेरिक संस्करण बाजार में उतारा।
मैनकाइंड फार्मा ने कहा कि उसकी दवा एम्पाग्लिफ्लोज़िन अब 10 मिलीग्राम की खुराक के लिए 5.49 रुपये प्रति गोली और 25 मिलीग्राम की खुराक के लिए 9.90 रुपये प्रति गोली की दर से उपलब्ध होगी। कंपनी के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राजीव जुनेजा ने कहा, “हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि दवा की लागत अब इलाज में बाधा न बने।”
नकली दवाओं से बचने के उपाय
अल्केम कंपनी ने इस दवा को “एम्पानॉर्म” ब्रांड नाम से लॉन्च किया है, जिसकी कीमत इसकी कीमत मूल दवा से लगभग 80 प्रतिशत कम रखी गई है। कंपनी ने बताया कि इस दवा के पैकेट पर नकली दवाओं से बचाने के लिए एक विशेष सुरक्षा बैंड लगाया गया है।
इसके अलावा, मरीजों को जागरूक करने के लिए, चित्रों के साथ हिंदी और अंग्रेजी में मधुमेह प्रबंधन से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराई गई है। इसके अलावा, एक क्यूआर कोड भी दिया गया है, जिसके माध्यम से मधुमेह, हृदय रोग और गुर्दे की बीमारी से संबंधित अतिरिक्त जानकारी 11 भाषाओं में प्राप्त की जा सकती है।
मरीजों को कैसे मिलेगी राहत?
मुंबई स्थित ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने एम्पाग्लिफ्लोज़िन का एक जेनेरिक संस्करण “ग्लैम्पा” भी लॉन्च किया है। इसके अलावा, “ग्लैम्पा-एल” (एम्पाग्लिफ्लोज़िन + लिनाग्लिप्टिन) और “ग्लैम्पा-एम” (एम्पाग्लिफ्लोज़िन + मेटफॉर्मिन) नामक इसकी संयुक्त दवाएं भी बाजार में उतारी गई हैं।
ग्लेनमार्क फार्मा के चेयरमैन आलोक मलिक ने कहा, “ग्लिम्पा सीरीज़ की यह नई दवा टाइप 2 डायबिटीज़ से पीड़ित मरीज़ों को सस्ता और प्रभावी उपचार विकल्प प्रदान करेगी, जिससे हृदय रोग का बेहतर प्रबंधन संभव होगा। भारत को मधुमेह की राजधानी कहा जाता है, जहाँ भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (मधुमेह) के एक अध्ययन के अनुसार, 2023 में 10 करोड़ से ज़्यादा लोग इस बीमारी से पीड़ित पाए गए। ऐसे में मधुमेह की दवाओं की लागत कम करना इस बीमारी के बढ़ते बोझ को कम करने की दिशा में एक अहम कदम साबित हो सकता है।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।
