कोलन कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन अगर इसके लक्षणों को सही समय पर पहचान लिया जाए तो इसका इलाज संभव है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर और नियमित स्वास्थ्य जांच करवाकर इस बीमारी से बचा जा सकता है। अगर आपको कोई भी लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
कोलन कैंसर या रेक्टल कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो बड़ी आंत (कोलन) या मलाशय (रेक्टम) में असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि के कारण होती है।
यह कैंसर धीरे-धीरे विकसित होता है और शुरुआती चरणों में इसका पता लगाना मुश्किल हो सकता है। इसके लक्षणों को पहचानना और सही समय पर इलाज करवाना बेहद ज़रूरी है।
हालांकि, कोलन कैंसर का अक्सर शुरुआती चरणों में पता नहीं चल पाता है, लेकिन अगर आपको लंबे समय तक पेट में दर्द या ऐंठन महसूस हो, तो आपको इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। आइए विशेषज्ञों से जानते हैं कि कोलन कैंसर कैसे फैलता है और इसके लक्षण और बचाव के उपाय क्या हैं।
गलत खान-पान की आदतें – बहुत ज़्यादा वसायुक्त, जंक फ़ूड और प्रोसेस्ड फ़ूड खाने से आंत की सेहत पर असर पड़ता है।
फाइबर की कमी – फलों, हरी सब्जियों और साबुत अनाज की कमी से पाचन तंत्र कमज़ोर हो जाता है, जिससे कोलन कैंसर का ख़तरा बढ़ जाता है।
धूम्रपान और शराब – तंबाकू, धूम्रपान और शराब का अत्यधिक सेवन कोलन कैंसर का खतरा बढ़ाता है।
पारिवारिक इतिहास – अगर परिवार में किसी को कोलन कैंसर हुआ है, तो जोखिम ज़्यादा हो सकता है।
मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता – ज़्यादा वज़न और कम शारीरिक गतिविधि भी आंत के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
दीर्घकालिक बीमारियाँ – लंबे समय तक पेट की समस्याएँ, जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस या क्रोहन रोग, भी कोलन कैंसर का कारण बन सकती हैं।
आंतों के कैंसर के लक्षण
शरीर में कमजोरी और थकान – लगातार थकान और कमजोरी महसूस होना।
अचानक वजन कम होना – बिना किसी कारण के वजन कम होना कैंसर का संकेत हो सकता है।
एनीमिया – शरीर में खून की कमी और चेहरे का पीला पड़ना।
मल में खून आना – मल त्याग के दौरान मल में खून आना या उसका रंग बदलना।
पेट दर्द और सूजन – लंबे समय तक पेट में दर्द, ऐंठन या सूजन।
कब्ज़ या दस्त की समस्या – सामान्य मल त्याग की दिनचर्या में बदलाव। कब्ज़, दस्त या मल त्याग में कठिनाई। शौच के बाद भी पेट साफ़ न होना – बार-बार शौच जाने की इच्छा होना लेकिन पेट पूरी तरह साफ़ न होना।
स्वस्थ आहार लें – रेशे युक्त खाद्य पदार्थ, हरी सब्ज़ियाँ, फल और साबुत अनाज खाएँ।
व्यायाम – रोज़ाना कम से कम 30 मिनट टहलें या योग करें।
धूम्रपान और शराब से बचें – ये दोनों ही कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
नियमित जाँच करवाएँ – अगर परिवार में कैंसर का इतिहास रहा है, तो समय-समय पर डॉक्टर से सलाह लें।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।
