सप्ताह का पहला दिन ‘सोमवार’ अक्सर तनाव और भागदौड़ से भरा होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई अध्ययनों में पाया गया है कि सोमवार को दिल का दौरा पड़ने का खतरा सबसे ज़्यादा होता है। यह सुनकर आपको शायद हैरानी हो, लेकिन इसके पीछे की वजह जानकर आप और भी हैरान हो जाएँगे। ब्रिटिश कार्डियोवैस्कुलर सोसाइटी (BCS) कॉन्फ्रेंस 2023 में प्रस्तुत एक अध्ययन ने दिल के दौरे के बारे में नई जानकारी प्रदान की है। इस अध्ययन के अनुसार, सप्ताह के अन्य दिनों की तुलना में सोमवार को दिल के दौरे के मामले ज़्यादा होते हैं।
यह शोध बेलफ़ास्ट हेल्थ एंड सोशल केयर ट्रस्ट और रॉयल कॉलेज ऑफ़ सर्जन्स, आयरलैंड के डॉक्टरों द्वारा किया गया था। सोमवार को दिल का दौरा पड़ने का खतरा क्यों बढ़ जाता है? शोधकर्ताओं ने 2013 और 2018 के बीच 10,000 से ज़्यादा मरीज़ों के रिकॉर्ड की जाँच की, जिन्हें दिल के दौरे के सबसे गंभीर प्रकार, ST-सेगमेंट एलिवेशन मायोकार्डियल इन्फ़ार्कशन (STEMI) के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अध्ययन में पाया गया कि सप्ताह की शुरुआत में (खासकर सोमवार को) ऐसे गंभीर दिल के दौरे की घटनाओं में 13% की वृद्धि हुई।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
शोध से जुड़े डॉ. जेक लाफ़न ने डेली मेल को बताया कि पश्चिमी देशों में ऐसा चलन पहले भी देखा गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, सर्दियों और सुबह के समय दिल के दौरे की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, स्ट्रोक के मामलों में भी ऐसा ही पैटर्न देखा गया है। डॉक्टरों का मानना है कि इसका मुख्य कारण हमारी सर्कैडियन लय (जैविक घड़ी) में बदलाव हो सकता है, जो हार्मोन के स्तर को प्रभावित करता है।
इसके अलावा, सोमवार को काम पर लौटने की चिंता और तनाव शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन के स्तर को बढ़ा देता है, जिससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ सकता है।
दिल का दौरा पड़ने से कैसे बचें?
- दिल का दौरा पड़ने के लक्षणों की पहचान होने पर जान बचाई जा सकती है समय।
- सीने में दर्द, जो दबाव, जकड़न या जलन जैसा महसूस हो सकता है।
- साँस लेने में तकलीफ, जो सीने में दर्द के साथ या उसके बिना भी हो सकती है।
- हाथ, गर्दन, जबड़े, पीठ या पेट में दर्द, जिसे अक्सर मांसपेशियों में खिंचाव या अपच समझ लिया जाता है।
- ठंडा पसीना, चक्कर आना, मतली और बहुत थकान।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।
