स्वस्थ हृदय और लंबी आयु के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना बेहद ज़रूरी है। लेकिन आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में लोग तनाव, गलत खान-पान और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण हृदय रोगों का शिकार हो रहे हैं।
ऐसे में, मेदांता अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ और अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. नरेश त्रेहान इंडिया टुडे के कार्यक्रम में हृदय को स्वस्थ रखने के कुछ आसान उपाय बता रहे हैं, जिनसे जानलेवा बीमारियों से बचने की संभावना बढ़ सकती है।
तनाव शराब से भी ज़्यादा ख़तरनाक है।
डॉ. नरेश त्रेहान ने कहा कि अगर सीमित मात्रा में शराब का सेवन किया जाए, तो यह हृदय के लिए हानिकारक नहीं है। हालाँकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि खुश रहना और तनावमुक्त जीवन जीना हृदय के स्वास्थ्य के लिए बेहद ज़रूरी है। उनका मानना है कि मानसिक शांति और संतुष्टि हृदय को स्वस्थ रखती है और यह लंबी आयु का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
-व्यायाम ज़रूरी है!
स्वस्थ हृदय के लिए व्यायाम बेहद ज़रूरी है। डॉ. त्रेहान हफ़्ते में 4-5 दिन नियमित गतिविधियाँ करने की सलाह देते हैं। उनके अनुसार, व्यायाम न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि हृदय को भी स्वस्थ रखता है। उन्होंने वज़न को नियंत्रित रखने के लिए रोज़ाना वज़न मापने की भी सलाह दी ताकि लोग अपने स्वास्थ्य पर नज़र रख सकें।
चार सफ़ेद चीज़ों से परहेज़ करें
डॉ. त्रेहान ने अपनी सलाह में अपने आहार में चार सफ़ेद चीज़ों से परहेज़ करने की बात कही। ये चार चीज़ें हैं – चीनी, सफ़ेद चावल, मैदा और आलू। हालाँकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि इन चीज़ों का सेवन पूरी तरह से बंद नहीं करना चाहिए, बल्कि सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।
एक चम्मच चीनी ही काफ़ी है
डॉ. त्रेहान चीनी का सेवन सिर्फ़ एक चम्मच तक सीमित रखने की सलाह देते हैं। उनका कहना है कि ज़्यादा चीनी खाने से वज़न बढ़ता है और हृदय स्वास्थ्य खराब होता है।
इसी तरह, आलू के ज़्यादा सेवन से भी वज़न बढ़ सकता है। आलू में ग्लाइसेमिक इंडेक्स ज़्यादा होता है, जिससे ब्लड शुगर तेज़ी से बढ़ता है और हृदय रोग का ख़तरा बढ़ जाता है।
यह चीज़ दिल की भी दुश्मन है।
डॉ. त्रेहान ने कृत्रिम मिठास से बचने की भी सलाह दी। उनका मानना है कि कृत्रिम मिठास से परहेज़ करना और चीनी का पूरी तरह से त्याग करना दिल को जीवन देने जैसा है।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।
