यह सब्जी 3 दिन में पथरी और 1 दिन में थक्के घोल देगी, साथ ही गठिया और बालों के लिए भी वरदान है…

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खीर एक प्रकार की सब्ज़ी है और भारत में सर्वत्र उगाई जाती है। पोषक तत्वों की दृष्टि से इसकी तुलना नेनुआ से की जा सकती है। बरसात के मौसम में खीर का प्रयोग खाने में अधिक होता है। गुण – इसकी प्रकृति ठंडी और नम होती है।

विभिन्न रोगों का उपचार

पथरी: कुदिर बेल को गाय के दूध या ठंडे पानी में पीसकर रोज सुबह 3 दिन तक पीने से पथरी गल जाती है और गोमूत्र गल जाता है।

फोड़े: पुदीने की जड़ को ठंडे पानी में घिसकर छालों पर लगाने से 1 दिन में ही फोड़े-फुंसी गायब हो जाते हैं।

छाले: गाय के मक्खन में घिसकर छालों पर 2 से 3 बार लगाने से लाभ होता है और दाने ठीक हो जाते हैं।

पथरी: शरीफा खाने से कब्ज की समस्या दूर होती है, जिससे पथरी निकल जाती है।

मूत्र शोथ: खीर मूत्र शोथ और मूत्र रोगों को ठीक करने में लाभकारी है।

छाले और आँखों की सूजन: आँखों में छाले होने पर, ताजे तुरई के पत्तों का रस निकालकर आँखों में 2 से 3 बूँदें डालने से 3 से दिन में 4 बार लगाने से आराम मिलता है।

बालों का कालापन: टर्की के एक टुकड़े को छाया में सुखाकर मसल लें। फिर इसे नारियल के तेल में मिलाकर 4 दिन तक रखें, फिर उबालकर छान लें और बोतल में भर लें। इस तेल को बालों पर लगाने और सिर की त्वचा पर मालिश करने से बाल काले हो जाते हैं।

मस्सा: कब्ज दूर करता है और टर्की से आराम मिलता है। कड़वे टर्की को उबालकर उसके पानी में बैंगन पकाएँ। बैंगन को घी में भूनकर गुड़ के साथ खाने से दर्द वाले मस्सों में आराम मिलता है।

योनिकांड (योनि रोग): करेले के रस में खट्टे दही का पानी मिलाकर पीने से योनिकांड रोग में लाभ होता है।

गठिया (घुटनों का दर्द): पालक, मेथी, टर्की, टिंडा, परवल आदि सब्जियों का सेवन करने से घुटनों के दर्द में आराम मिलता है।

पीलिया: करेले के रस की दो-तीन बूँदें नाक में डालने से नाक से पीला स्राव निकलेगा और पीलिया एक दिन में ठीक हो जाएगा।

कुष्ठ रोग: करेले के पत्तों को पीसकर लेप बना लें। इस लेप को कुष्ठ रोग पर लगाने से आराम मिलता है। करेले के बीजों को पीसकर कुष्ठ रोग पर लगाने से रोग ठीक हो जाता है।

गले के रोग: करेले को तंबाकू जैसी चिलम में भरकर उसका धुआँ गले में खींचने से गले की सूजन दूर होती है।

उल्टी के लिए: ज़ेमानी के बीजों को पीसकर रोगी को देने से उल्टी और दस्त शुरू हो जाते हैं।

हानिकारक प्रभाव – करेला कफ और गैस पैदा करता है, इसलिए इसका अधिक सेवन हानिकारक हो सकता है। करेला पचने में भारी और पेट फूलने वाला होता है। बरसात के मौसम में, केलेडनो ग्रीन बीमार लोगों के लिए फायदेमंद नहीं है।

अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।

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