यूरिक एसिड: मानसून में किडनी को नुकसान! जानें इससे कैसे बचें…

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यूरिक एसिड: जब आसमान से बहुत ज़्यादा पानी गिरता है, तो यह न सिर्फ़ सड़कों पर, बल्कि शरीर के अंदर भी कहर बरपाता है। ख़ासकर मानसून के मौसम में, दूषित पानी के शरीर में प्रवेश करने से किडनी से जुड़ी बीमारियों का ख़तरा तेज़ी से बढ़ जाता है।

एम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई और अगस्त के दौरान मूत्र मार्ग में संक्रमण (यूटीआई) के मामलों में 35% की वृद्धि हो सकती है। अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो यह एक गंभीर किडनी संक्रमण (पायलोनेफ्राइटिस) में बदल सकता है, जो जानलेवा हो सकता है।

आईसीएमआर के आंकड़ों के अनुसार, मानसून के दौरान प्रोस्टेट संबंधी समस्याओं के मामले भी 25% बढ़ जाते हैं। प्रोस्टेट कैंसर भारत में, ख़ासकर शहरी इलाकों में, मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बन गया है, जहाँ पिछले 25 सालों में इसके मामलों में 85% की वृद्धि हुई है। भारत में हर साल 20 लाख से ज़्यादा लोग बैक्टीरिया के संक्रमण से प्रभावित होते हैं, जिनमें रक्तचाप, मधुमेह, बुज़ुर्ग और महिलाओं को सबसे ज़्यादा ख़तरा होता है।

मानसून के मौसम में यूरिक एसिड और क्रिएटिनिन बढ़ने का भी खतरा रहता है। नमी और गर्मी के कारण पेशाब गाढ़ा हो जाता है, जिससे गुर्दे की पथरी होने की संभावना बढ़ जाती है।

वायरल संक्रमण और दवाओं के दुष्प्रभाव भी गुर्दे की पथरी की गंभीर स्थिति पैदा कर सकते हैं। इस मौसम में साफ पानी पीना, स्वच्छता बनाए रखना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना बेहद ज़रूरी है।

गुर्दे के प्रमुख दुश्मनों में शामिल हैं – गुर्दे की पथरी, उच्च यूरिक एसिड का स्तर, तीव्र गुर्दे की चोट और दीर्घकालिक गुर्दे की बीमारी। उच्च यूरिक एसिड के लक्षणों में टखनों और जोड़ों में दर्द, हाथों और पैरों में झुनझुनी और सूजन शामिल हैं। यह स्थिति दिल का दौरा, ब्रेन स्ट्रोक और गुर्दे की विफलता जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है।

अगर आपको उच्च यूरिक एसिड है, तो इन खाद्य पदार्थों से बचें – दाल, पनीर, दूध, चीनी, शराब, तले हुए खाद्य पदार्थ और टमाटर। इसके बजाय, आप कुछ घरेलू उपाय अपनाकर गुर्दे को स्वस्थ रख सकते हैं।

सुबह नीम के पत्तों का रस और शाम को पीपल के पत्तों का रस पीना फायदेमंद होता है। साथ ही, दिन में दो बार ग्वारपाठे का पानी पीने से गुर्दे की पथरी और संक्रमण से बचाव हो सकता है।

गुर्दे की पथरी के लिए फायदेमंद खाद्य पदार्थों में खट्टी छाछ, कुलथी दाल, मूली, गुठली के पत्ते और जौ का आटा शामिल हैं। वहीं मक्के के रेशों को उबालकर उसका पानी पीना रामबाण माना जाता है, जो न सिर्फ पथरी को दूर करता है, बल्कि यूटीआई संक्रमण से भी राहत दिलाता है।

अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।

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